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________________ be in proper proportion and beautiful. His face shall be like the one * moon. He shall be good-looking loveable and handsome. (ख) तए णं तस्स दारयस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठितिवडियं करेहिति. ततियदिवसे चंदसूर-दंसणिगं करिस्संति, छठे दिवसे जागरियं जागरिस्संति, एक्कारसमे दिवसे वीइक्कंते संपत्ते बारसाहे दिवसे णिब्वित्ते असुइजायकम्मकरणे चोक्खे * संमज्जिओवलित्ते विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेस्संति, मित्त-णाइ णियग-सयण-संबंधिपरिजणं आमंतेत्ता तओ पच्छा व्हाया कायबलिकम्मा जाव अलंकिया भोयणमंडवंसि सुहासणवरगया ते मित्तणाइ-जाव परिजणेण सद्धिं विउलं असणं आसाएमाणा विसाएमाणा परिभुंजेमाणा परिभाएमाणा एवं चेव णं विहरिस्संति। जिमियभुत्तुत्तरागया वि य णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्तणाइ-जाव परिजणं विउलेणं वत्थगंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेस्संति सम्माणिस्संति तस्सेव मित्त-जाव-परिजणस्स पुरतो एवं वइस्संति" (ख) तब उस दारक के माता-पिता प्रथम दिवस स्थितिपतिता-(कुल-परपरागत विधि क्रियाओ से पुत्र का जन्मोत्सव) करेगे। तीसरे दिन चन्द्र और सूर्य-दर्शन करेंगे। छठे दिन रात्रि-जागरण करेंगे। ग्यारह दिन बीतने के बाद बारहवे दिन जातकर्म सम्बन्धी अशुचि की निवृत्ति के लिए घर झाड-बुहार और लीप-पोतकर शुद्ध करेगे। घर की शुद्धि करने के बाद अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य रूप विपुल भोजन-सामग्री बनवायेंगे और मित्रजनों, " ज्ञातिजनों, निजजनो, स्वजन-सम्बन्धियो एवं दास-दासी आदि परिजनो, परिचितों को " आमत्रित करेगे। इसके बाद स्नान, बलिकर्म, कपाल पर कुकु, तिलक, काली बिंदी आदि रूप कौतुक-मगल-प्रायश्चित्त करके आभूषणों से शरीर को अलकृत करेंगे। भोजनमडप o मे श्रेष्ठ आसनों पर सुखपूर्वक बैठकर मित्रों यावत् परिजनों के साथ विपुल अशनादि रूप * भोजन का आस्वादन करेंगे, उसका परिभोग करेंगे, एक-दूसरे को मनुहार करके परोसेगे - 2 और भोजन करने के पश्चात् आचमन-कुल्ला आदि करके स्वच्छ, परम शुचिभूत होकर उन मित्रों, ज्ञातिजनों यावत् परिजनों का वस्त्र, गंध (सुगंधित द्रव्य), माला, अलंकारो आदि से सत्कार-सम्मान करेगे और फिर उन्ही मित्रो यावत् परिजनो के समक्ष इस प्रकार कहेगे (b) On the first day, his parents shall celebrate his birth * according to the customary method prevailing in their families. On the third day, they will show him the sun and the moon. On the sixth day, they will remain awake throughout the night (in celebration). After the eleventh day, they will make the house clean दृढप्रतिज्ञकुमार Dridh Pratyna Kumar BEDARODAI.P108654954505assistant (409) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007653
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2002
Total Pages499
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_rajprashniya
File Size18 MB
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