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उत्सवों की सूची मे मुख्य उत्सव इस प्रकार है
इन्द्रमह - इन्द्रमह सभी उत्सवो मे मुख्य माना जाता था। इस दिन इन्द्र की पूजा की जाती थी । इन्द्रध्वजा की स्थापना की जाती थी ।
स्कन्दमह - इन्द्र के बाद दूसरे स्थान पर स्कन्दमह था । वैदिक पुराणो के अनुसार 'स्कन्द' या 'कार्तिकेय' महादेव जी का पुत्र है और देवताओ ने तारक असुर के साथ युद्ध मे कार्तिकेय को अपना सेनापति नियुक्त किया था । कार्तिकेय का वाहन मयूर है, यह उत्सव आसोज की पूनम को मनाया
जाता था ।
रुद्रमह - रुद्र ग्यारह थे। ये इन्द्र के साथी, शिव और उसके पुत्रो के अनुचर तथा मत्र के रक्षक थे।
मुकुन्दमह - महाभारत के अनुसार लांगूल - हलधर, बलदेव का नाम है - मुकुन्द । इसी प्रकार शिव, कुबेर, नाग, यक्ष, भूत आदि की पूजा के अमुक-अमुक उत्सव होते थे । वृक्ष, गिरि, धूप, नदी आदि के उत्सव पर वृक्ष आदि की पूजा की जाती थी । वृक्ष, कूप, सरोवर आदि प्राकृतिक देव है, जो मानव सृष्टि
धन-धान्य की समृद्धि और पर्यावरण की शुद्धि के लिए बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। इन प्राकृतिक साधनो की रक्षा, वृद्धि और देखभाल करने से राष्ट्र की समृद्धि और मानव जाति के लिए अन्न, जल, शुद्ध वायु की उपलब्धि बनी रहती है।
इस वर्णन से तथा निर्युक्ति भाष्य आदि के वर्णन से पता चलता है कि इन उत्सवो मे छोटे-बडे, धनी - निर्धन, राजा और प्रजा सभी लोग बिना भेदभाव के, अपनी-अपनी जाति, वर्ण, बिरादरी के साथ सम्मिलित होकर सामूहिक आनन्द मनाते थे । इस प्रकार की सार्वजनिक भीड को देखकर ही चित्त सारथी सोचता है- 'आज कौन-सा उत्सव है, जो इतनी भीड एक साथ नगर के बाहर एक ही दिशा मे जा रही है ?'
Elaboration-After seeing the arrival of the people, their noise and their movement in thousands in one direction, the festivals which Chitta Saarthi imagine presents a glimpse of cultural festivals of that period.
Chitta finds glamour and eagerness on faces of the people. He finds them dressed in beautiful clothes and wearing ornaments He finds them sitting in vehicles of different types and eager to move out. So he thinks'What festivity possibly could be on that day.' In the aphorism eighteen types of festivities have been mentioned. In addition, there must have been many other common festivals. On the day of festivity, how much was the eagerness and happiness in the people and how much time they were able to spare for collective entertainment of themselves along with members of their families is a matter of surprise in the present age of busy routine. But it appears worthy to be adopted.
It is mentioned in Nisheeth Sutra that the festivals were primarily celebrated in the months of Ashadh, Aasoj, Kartık and Chaitra on full
केशीकुमार श्रमण और प्रदेशी राजा
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( 265 ) Keshi Kumar Shraman and King Pradeshi
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