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in respect praised the king and then presented the costly gift to him.
King Jitashatru accepted the gift and gave due respect to Chitta Saarthi. He then sent him to the guest house on the highway for taking rest.
विवेचन-चित्त सारथी के प्रसग मे आया है कि वह स्नान करके 'कय बलिकम्मे कय-कोउय-मंगल पायच्छित्ते' और बलिकर्म करता कौतुक-मगल प्रायश्चित्त करता है।
यहाँ इसका अर्थ किया जाता है, स्नान के बाद आँखो मे अजन व सिर पर काली टिकी लगाना, फिर सरसों आदि उवारकर दिशाओ मे फेकना और पशु-पक्षियो व देवो आदि के लिए बलिकर्म-उनके नाम का अन्न ग्रास आदि देना। यहाँ पर विचारणीय है कि यह वर्णन प्राय सभी जगह मिलता है, चाहे आनन्द आदि श्रावक का प्रसंग हो, चित्त सारथी का हो या किसी राजा का हो या सूर्याभदेव का हो (सूत्र २००)। इससे यह पता चलता है कि उस युग मे यह एक सामान्य प्रथा थी और छोटे-बडे सभी इसको निभाते थे। प्रायश्चित्त से कौन-सी क्रिया की जाती थी तथा बलिकर्म क्या, किस प्रकार किया जाता था, क्यो किया जाता था, इसकी विधि क्या थी और यह किस उद्देश्य से किया जाता था, इन क्रियाओ का व्यक्ति के जीवन-व्यवहार पर क्या प्रभाव पड़ता था, पशु-पक्षी व दिग्पाल-क्षेत्रपाल आदि देवो के साथ इसका क्या सम्बन्ध है ? इस विषय पर आगम विषय के विशेषज्ञ व सास्कृतिक परम्पराओ के विवेचक
विद्वानो को प्रकाश डालना चाहिए। हमारे विचार से ये क्रियाएँ मात्र कोई लीक पीटना नही थी, किन्तु ॐ इनके साथ विशेष उद्देश्य जुडा होगा। उन क्रियाओ से मनुष्य का अपना व्यवहार तो प्रभावित होता ही
होगा, अन्य पशु-पक्षी जगत् व अन्य देव शक्तियो का सम्बन्ध जुडा रहा होगा। बलिकर्म जैसी प्रथा के पीछे भी क्या कोई दान व करुणा की भावना निहित थी? प्राचीनकाल मे पक्षियो के लिए दाना, पानी, कुत्तो के लिए रोटी, गायो के लिए गौ-ग्रास तथा देवताओ के नाम पर 'बलि' ये सब क्या इसी मे गिने जा सकते है ? क्या सबके लिए सबका भाग वितरण करने की सामाजिक करुणा भावना इसमे छिपी थी? इस विषय पर अनुसधान व चिन्तन अपेक्षित है। ___ गहियाउह-पहरणे-'आयुध' और 'प्रहरण' दोनो ही शब्द शस्त्रवाचक है, किन्तु एकार्थक नही हैं। आयुध से अर्थ किया जाता है जिन शस्त्रो से आत्म-रक्षा की जाती है तथा प्रहरण वे शस्त्र है जिनसे शत्रु पर प्रहार किया जाता है। ___अंश २११ (क) मे राजा के कृत्य, राजा के कार्य, राजनीति और राज-व्यवहार चारों शब्द भिन्न-भिन्न अर्थ के सूचक है। कृत्य से आचार-व्यवहार, कार्य से उसकी प्रवृत्तियाँ, राजनीति से प्रजा व राष्ट्र के सम्बन्ध मे उसकी नीति तथा व्यवहार से प्रजा के साथ उसका कैसा व्यवहार होता है। इन सब शब्दो से पता चलता है, चित्त को राजा जितशत्रु की सम्पूर्ण गुप्त और प्रकट बातो का पता लगाने के लिए निरीक्षक और गुप्तचर के रूप मे भेजा गया है।
Elaboration—In the narration about Chitta Saarthi it is mentioned about that after taking bath, he performs Bali-karm and Kautuk-mangali prayashchit.
रायपसेणियसूत्र
(250)
Rat-paseniya Sutra
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