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ॐ (प्र.) “भदन्त ! सूर्याभदेव की भवस्थिति (देवभव में रहने की स्थिति) कितने काल
की है?" ___ (उ.) “गौतम ! सूर्याभदेव की भवस्थिति चार पल्योपम की है।'
(प्र.) "भगवन् ! सूर्याभदेव के सामानिक परिषद् के देवों की स्थिति कितने काल की है?"
(उ.) “गौतम ! उनकी भी चार पल्योपम की स्थिति है।"
“यह सूर्याभदेव महाऋद्धि (वैभव), महाद्युति (तेज), महान् बल, महायश (कीर्ति), महासौख्य और महाप्रभाव वाला है।"
(भगवान के इस कथन को सुनकर गणधर गौतम ने आश्चर्यचकित होकर कहा-) • “अहो भंते ! वह सूर्याभदेव ऐसा महाऋद्धि यावत् महाप्रभावशाली है?' ____ उन्होंने पुनः प्रश्न किया-"भगवन् ! सूर्याभदेव को इस प्रकार की वह दिव्य देवऋद्धि, दिव्य देवधुति और दिव्य देवप्रभाव कैसे मिला है ? उसने कैसे प्राप्त किया है ? किस तरह
से अधिगत किया है ? किस तरह उसका स्वामी बना? वह सूर्याभदेव पूर्वभव में कौन था? * उसका नाम और गोत्र क्या था?
____ वह किस ग्राम, नगर, निगम, राजधानी, खेट, कर्बट, मडब, पत्तन, द्रोणमुख, आकर, * आश्रम, संबाह, सन्निवेश का निवासी था?
इसने ऐसा क्या दान में दिया? ऐसा क्या अन्त-प्रान्तादि (बचाखुचा) नीरस आहार
खाया? ऐसा क्या कार्य किया? कैसा आचरण किया? तथारूप श्रमण-माहण से ऐसा * कौन-सा धार्मिक आर्य सुवचन सुना कि जिससे सूर्याभदेव ने वह दिव्य देवर्द्धि यावत्
देवप्रभाव उपार्जित किया है, प्राप्त किया है और अधिगत किया है ?'' QUERY OF GANADHAR GAUTAM ABOUT SURYABH GOD ___206. (After carefully listening to the entire conduct of Suryabh god, Ganadhar Gautam asked Bhagavan Mahavir-)
(Q.) “Reverend Sir ! What is the life-span of Suryabh Dev as a the heavenly being ?" ____(Ans.) (Bhagavan replied) “Gautam ! His present life-span is of four palyopam."
(Q.) (Gautam asked) “What is the life-span of the gods belonging to Saamanik council of Suryabh Dev ?" सूर्याभ वर्णन
Description of Suryabh Dev
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