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________________ o सुधर्मा सभा का वर्णन १६३. तस्स णं मूलपासायवडेंसयस्स उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं सभा सुहम्मा पण्णत्ता, एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाई विक्खम्भेणं, बावत्तरि जोयणाई उड्ढे उच्चत्तेणं, अणेगखम्भ"जाव अच्छरगण पासादीया। १६३. उस प्रधान प्रासाद के ईशानकोण में एक सुधर्मा सभा है, जो सौ योजन लम्बी, * पचास योजन चौडी और बहत्तर योजन ऊँची है। यह सभा अनेक सैकड़ों खम्भों पर संस्थित यावत् अप्सराओं से व्याप्त अतीव मनोहर है। DESCRIPTION OF SUDHARMA ASSEMBLY-HALL ___163. In the north-east corner of that main palace is Sudharma o assembly building. It is 100 yojans long, 50 yojans wide and 72 yojans high. It is on hundreds of pillars upto having many fairies Hot and extremely grand. १६४. सभाए णं सुहम्माए तिदिसिं तओ दारा पण्णत्ता, तं जहा-पुरथिमेणं, दाहिणेणं, उत्तरेणं। तेणं दारा सोलस जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, अट्ठ जोयणाई विक्खम्भेणं, तावतियं चेव * पवेसेणं, सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालाओ। तेसि णं दाराणं पुरओ पत्तेयं पत्तेयं मुहमण्डवे पण्णत्ते, ते णं मुहमण्डवा एगं जोयणसयं आयामेणं, पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं, साइरेगाइं सोलस जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, * वण्णओ सभाए सरिसो। तेसि णं मुहमण्डवाणं तिदिसिं तओ दारा पण्णत्ता, तं जहा-पुरथिमेणं, दाहिणेणं, उत्तरेणं। ते णं दारा सोलस जोयणाई उड्ढं उच्चत्तेणं, अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं, तावइयं चेव पवेसेणं, सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालाओ। तेसि णं मुहमंडवाणं पुरतो पत्तेयं पत्तेयं पेच्छाघरमंडवे पण्णत्ते, मुहमंडववत्तव्वया जाव दारा, भूमिभागा, उल्लोया। १६४. इस सुधर्मा सभा की तीन दिशाओं में तीन द्वार हैं-पूर्व दिशा में, दक्षिण दिशा मे और उत्तर दिशा में। सूर्याभ वर्णन (155) Description of Suryabh Deve* (०. * * * * * * XXE Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007653
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2002
Total Pages499
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_rajprashniya
File Size18 MB
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