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HE 157. Bhagavan replied—“O Gautam ! In the land adjoining e padmavarvedika there are small rooms, spaces between two rooms, 1 pillars, sides of the pillars, tops of pillars, spaces between two
pillars, pegs, peg-tops, planks attached to the pegs, spaces between two pegs, roofs, edges of the roofs and spaces in between. In order to provide protection from raining clouds during rainy season, many fully developed all jewelled, beautiful, pure and extremely charming blue lotus, lotus, white lotus, special lotus, subhag, fragrant lotus, pundreek, mahapundreek, hundred leaved lotus, thousand leaved lotus and lotuses serving as umbrella like cover are decorating all the earlier mentioned places and spaces in between.
So, O the blessed ! This padmavarvedika has been so called.” १५८. पउमवरवेइया णं भंते ! किं सासया, असासया ? गोयमा ! सिय सासया, सिय असासया। से केणटेणं भंते ! एवं बुच्चइ सिय सासया, सिय असासया ?
गोयमा ! दबट्टयाए सासया, वनपज्जवेहि, गंधपज्जवेहि, रसपज्जवेहिं, फासपज्जवेहिं असासया, से एएणटेणं गोयमा ! एवं बुच्चति सिय सासया, सिय असासया।
पउमवरवेइया णं भंते ! कालओ केवचिरं होइ ?
गोयमा ! ण कयावि णासि, ण कयावि णत्थि, ण कयावि न भविस्सइ, भुविं च हवइ य, भविस्सइ य, धुवा णियया सासया अक्खया अब्बय अवडिया णिच्चा पउमवरवेइया।
१५८. “हे भंते ! वह पद्मवरवेदिका शाश्वत है अथवा अशाश्वत है?"
"हे गौतम । (किसी अपेक्षा) शाश्वत-नित्य भी है और (किसी अपेक्षा) अशाश्वत भी है।" ___ "भगवन् ! किस कारण आप ऐसा कहते हैं कि किसी अपेक्षा वह शाश्वत भी है और
किसी अपेक्षा अशाश्वत भी है ?' * “हे गौतम ! द्रव्यार्थिकनय की अपेक्षा वह (पुद्गल द्रव्य रूप में) शाश्वत है, परन्तु वर्ण,
गध, रस और स्पर्श पर्यायों की अपेक्षा अशाश्वत है। इसी कारण हे गौतम ! यह कहा है * कि वह पद्मवरवेदिका शाश्वत भी है और अशाश्वत भी है।" ___“हे भंते ! काल की अपेक्षा वह पद्मवरवेदिका कितने काल पर्यन्त-कब तक रहेगी?" सूर्याभ वर्णन
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