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श्रोता के प्रकार TYPES OF LISTENERS
चौदह प्रकार के श्रोता
FOURTEEN TYPES OF LISTENERS प्राथमिक-किसी शास्त्र अथवा ग्रन्थ को आरम्भ करने के प्रथम चरणस्वरूप मंगल तथा विघ्न-शमन कामना के रूप में अर्हत्, गुरुजन आदि की स्तुति रचने की परम्परा रही है। यह 卐 प्रस्तुत करने के पश्चात् सामान्यतया शास्त्र अथवा ग्रन्थ में चर्चित विषय का वर्णन आरम्भ किया
जाता है। किन्तु इस ग्रन्थ में एक अभिनव प्रयोग दिखाई देता है। विषय-वस्तु का आरम्भ करने
से पूर्व सूत्रकार उस विषय को ग्रहण करने वाले अर्थात् श्रोता के गुणाधिकार की चर्चा करते हैं म. और फिर परिषद् की। यह चर्चा सुन्दर व सटीक उदाहरणों द्वारा बहुत ही रोचकता के साथ
प्रस्तुत की गई है। 41 Introduction—It is a convention that as the first step of 5 commencing the writing of a book a prayer wishing well being and
removal of hurdles is written in the form of a panegyric of the Arhat 55 or teachers. After this, generally an introduction of the subject ! 4 matter discussed in the book is given. But a new experimental styles 41 can be seen in this book. Before dealing with the introduction of the i subject matter first the virtues and rights of the recipients of the
knowledge or the listeners have been discussed and then their congregation. This has been presented in a gripping style with beautiful and befittir
५१ : सेल-घण-कुडग-चालिणी, परिपुण्णग-हंस-महिस-मेसे य।
मसग-जलूग-विराली, जाहग-गो-भेरि-आभीरी॥ अर्थ-गुण-भेद से श्रोताजन इस प्रकार के होते हैं-(१) शैल-घन (पत्थर व पुष्करावर्त मेघ), (२) कुटक (घड़ा), (३) चालनी, (४) परिपूर्णक (छन्ना अथवा फिल्टर), (५) हंस, म (६) महिष, (७) मेष, (८) मशक, (९) जलौक (जौंक), (१०) विडाली (बिल्ली), म (११) जाहक (चूहा), (१२) गाय, (१३) भेरी, तथा (१४) आभीरी (अहीर) के समान।।
51. According to the variations in quality, different types of + listeners are like-1. Smooth rock (shail) that remains म श्री नन्दीसूत्र
Shri Nandisutra 期 货野岁男明斯览第7期另號第5期 7岁男贸易斯监听的端點:
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