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100. Question-What is this Prishta Shrenika Parikarma? 5 Answer-Prishta Shrenika Parikarma is said to be of eleven
types—1. Prithakagash pad, 2. Ketubhoot, 3. Rashibaddha, 4. Ek Guna, 5. Dviguna, 6. Triguna, 7. Ketubhoot, 8. Pratigrah, 9. i Samsar Pratigrah, 10. Nandavart, and 11. Prishtavart. * This concludes the description of Prishta Shrenika Parikarma.
विवेचन-मूल प्राकृत शब्द पुट्ट की संस्कृत छाया पृष्ट भी होती है और स्पृष्ट भी। अतः इसमें ॐ संभवतः लौकिक तथा लोकोत्तरिक विभिन्न विषयों की प्रश्नावलियाँ संकलित हों। स्पृष्ट अर्थ भी
अपने में हर संभव विषय समेटे है। क्योंकि संसार में प्रत्येक वस्तु किसी न किसी प्रकार से एकॐ दूसरे पर आधारित स्पर्श करती हुई होती है, जैसे-सिद्ध एक-दूसरे से स्पृष्ट है; निगोदीय शरीर में अनन्त जीव एक-दूसरे से स्पृष्ट होते हैं; धर्म, अधर्म और आकाश के प्रदेश परस्पर स्पृष्ट हैं; आदि।
Elaboration-The Sanskrit transcription of the original Prakrit word-puttha-is prishta as well as sprishta. Therefore, this probably
contains questions on various topics of worldly and other worldly left 6 affairs. The alternative word sprishta (touching or in contact) also 41 envelopes almost every topic because almost everything in this
universe touches some other thing. For example--Siddhas touch each other, in the gross nigod body there are infinite beings touching each
other, states of motion and inertia and the space points are touching fi each other, and so on.
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(४) अवगाढ-श्रेणिका परिकर्म
(4) AVAGADH SHRENIKA PARIKARMA १०१ : से किं तं ओगाढसेणिआपरिकम्मे ? ___ ओगाढसेणिआपरिकम्मे एक्कारसविहे पन्नत्ते, तं जहा-(१) पाढोआगासपयाई, (२) केउभूअं, (३) रासिबिद्धं, (४) एगगुणं, (५) दुगुणं, (६) तिगुणं, (७) केउभूअं, (८) पडिग्गहो, (९) संसार-पडिग्गहो, (१०) नंदावत्तं, (११) ओगाढावत्तं।
से तं ओगाढसेणिआ परिकम्मे।
अर्थ-प्रश्न-अवगाढ-श्रेणिका परिकर्म कितने प्रकार का है ? श्री नन्दीसूत्र
( ४३८ ) 第
55號岁%%%% %%%%紧货期货期等。
Shri Nandisutra
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