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________________ 49听听听听听听听听听听听听听听听听听洲乐乐 AALENERE MERELETELELELELEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEEELE (९) अनुत्तरौपपातिकदशा सूत्र परिचय 9. ANUTTARAUPAPATIKDASHA SUTRA ९१ : से किं तं अणुत्तरोववाइअदसाओ ? अणुत्तरोववाइअदसासु णं अणुत्तरोववाइआणं नगराई, उज्जाणाइं, चेइआई, वणसंडाई, समोसरणाई, रायाणो, अम्मापियरो, धम्मायरिआ, धम्मकहाओ, इहलोइअ-परलोइआ इड्ढिविसेसा, भोगपरिच्चागा, पव्वज्जाओ, परिआगा, सुअपरिग्गहा तवोवहाणाइं, पडिमाओ, उवसग्गा, संलेहणाओ भत्तपच्चक्खाणाई, पाओवगमणाई, अणुत्तरोववाइयत्ते उववत्ती, सुकुलपच्चायाईओ, पुणबोहिलाभा, अंतकिरियाओ आघविजंति। ___ अणुत्तरोववाइअ दसासु णं परित्ता वायणा, संखेज्जा अणुओगदारा, संखेज्जा वेढा, संखेज्जा सिलोगा, संखेज्जाओ निज्जुत्तीओ, संखेज्जाओ संगहणीओ संखेज्जाओ पडिवत्तीओ। से णं अंगट्टयाए नवमे अंगे, एगे सुअखंधे तिण्णि वग्गा, तिण्णि उद्देसणकाला तिण्णि समुद्देसणकाला, संखेज्जाइं पयसहस्साइं पयग्गेणं, संखेज्जा अक्खरा, अणंत गमा, अणंता पज्जवा, परित्ता तसा, अणंता थावरा, सासय-कड-निबद्ध-निकाइ जिणपण्णत्ता भावा आघविज्जंति, पन्नविज्जंति, परूविज्जंति, दंसिज्जंति, निदंसिज्जतिक उवदंसिज्जंति। से एवं आया, एवं नाया, एवं विन्नाया, एवं चरण-करणपरूवणा आघविज्जइ। से तं अणुत्तरोववाइअदसाओ। अर्थ-प्रश्न-अनुत्तरौपपातिक दशा में क्या है ? उत्तर-अनुत्तरौपपातिकदशा सूत्र में अनुत्तरौपपातिकों (दीक्षा लेकर सम्पूर्ण कर्मक्षय के अभाव में अनुत्तर विमानों में जन्म लेने वाली आत्माओं) के नगर, उद्यान, चैत्य, वनखण्ड समवसरण, राजा, माता-पिता, धर्माचार्य, धर्मकथा, इहलोक व परलोक की ऋद्धि विशेष भोग-परित्याग, प्रव्रज्या, पर्याय, श्रुत-अध्ययन, तप-उपधान, प्रतिमा, उपसर्ग, संलेखना भक्त-प्रत्याख्यान, पादोपगमन, अनुत्तर विमान में जन्म, पुनः श्रेष्ठ कुल में जन्म, पुन बोधि-लाभ तथा अन्तःक्रिया आदि विषयों का वर्णन है। ___ अनुत्तरौपपातिक दशा में परिमित वाचनाएँ, संख्यात अनुयोगद्वार, संख्यात वेढा म संख्यात श्लोक, संख्यात नियुक्तियाँ, संख्यात संग्रहणियाँ तथा संख्यात प्रतिपत्तियाँ हैं। ( ४२१ ) Shrut-Jnanas FS5555$听听听听听听听听听听听听听听听听听F f听听听听听听听听听听听听听听听听听听 你听听听听听听听听听听听听听听听听听F श्रुतज्ञान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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