________________
65SESESESENSESSIO
those who know a little less than ten purvas may or may not be samyak shrut. The reason for this is said to be that the knowers of ten 4 to fourteen purvas are necessarily samyakdrishti. Those who know 4 less than this are not necessarily samyakdrishti. This means that S even the mithyadrishti can study up to a little less than ten purvas.
मिथ्याश्रुत वर्णन
MITHYA SHRUT ७७ : से किं तं मिच्छासुअं?
मिच्छासुअं, जं इमं अण्णाणिएहि मिच्छादिट्ठिएहिं, सच्छंदबुद्धि-मइविगप्पिअं, तं जहा
(१) भारहं, (२) रामायणं, (३) भीमासुरक्खं, (४) कोडिल्लयं, (५) सगडभदिआओ, (६) खोडग (घोडग) मुहं, (७) कप्पासिअं, (८) नागसुहुमं, (९) कणगसत्तरी, (१०) वइसेसिअं, (११) बुद्धवयणं, (१२) तेरासिअंज
(१३) काविलिअं, (१४) लोगाययं, (१५) सद्वितंतं, (१६) माढरं (१७) पुराणं म (१८) वागरणं, (१९) भागवं, (२०) पायंजली, (२१) पुस्सदेवयं, (२२) लेह, (२३) गणिअं, (२४) सउणिरुअं, (२५) नाडयाइं।
अहवा बावत्तरि कलाओ, चत्तारि अ वेआ संगोवंगा। ___ एआई मिच्छदिद्विस्स मिच्छत्तपरिग्गहिआई मिच्छा-सुअं एयाइं चैव सम्मदिहिस्सा सम्मत्तपरिग्गहिआई सम्मसु। ___ अहवा मिच्छादिविस्स वि एयाइं चेव सम्मसुअं, कम्हा? सम्मत्तहेउत्तणओ, जम्हा ते मिच्छदिद्विआ तेहिं चैव समएहिं चोइआ समाणा केइ सपक्खदिट्ठीओ चयंति।
से तं मिच्छा-सु। अर्थ-प्रश्न-मिथ्याश्रुत क्या है?
उत्तर-जो अज्ञानी व मिथ्यादृष्टि व्यक्तियों द्वारा बुद्धि व मति से विकल्पित हैं वेक मिथ्याश्रुत कहलाते हैं। जैसे-(१) भारत, (२) रामायण, (३) भीमासुरोक्त, (४) कौटिल्य, (५) शकटभद्रिका, (६) घोटकमुख, (७) कासिक, (८) नाग-सूक्ष्म, (९) कनकसप्तति,
(१०) वैशेषिक, (११) बुद्धवचन, (१२) त्रैराशिक, (१३) कापिलीय, (१४) लोकायत, म (१५) षष्टितंत्र, (१६) माठर, (१७) पुराण, (१८) व्याकरण, (१९) भागवत, 卐 श्रुतज्ञान
(३५३ )
Shrut-Jnanals 0555555555555555555555555550
E9%%%%%%%折%% % 5% F玩乐乐%5s听听听听听听听听听听听听听听FFFFFFFF
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org