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(१) आयारो; (२) सूयगडो, (३) ठाणं, (४) समवाओ, (५) विवाहपण्णत्ती, (६) नायाधम्मकहाओ, (७) उवासगदसाओ, (८) अंतगडदसाओ, (९), अणुत्तरोववाइयदसाओ (१0) पण्हावागरणाइं, (११) विवागसुअं, (१२) दिद्विवाओ, इच्चेअं दुवालसंगं गणिपिडगं-चोद्दसपुव्विस्स सम्मसुअं, अभिण्णदसपुव्विस्स सम्मसुअं,
तेण परं भिण्णेसु भयणा। से तं सम्मसु। * अर्थ-प्रश्न-सम्यक् श्रुत किस प्रकार का होता है ? * उत्तर-जो उत्पन्न ज्ञान और दर्शन के धारक, तीन लोक के जीवों द्वारा समादृत तथा म भावपूर्वक नमस्कृत, अतीत-वर्तमान-अनागत को जानने वाले सर्वज्ञ और सर्वदर्शी अर्हत्
भगवन्तों द्वारा प्रणीत द्वादशांगरूप गणिपिटक हैं उसे सम्यक्श्रुत कहते हैं। जैसेॐ आचारांग, सूत्रकृतांग, स्थानांग, समवायांग, व्याख्याप्रज्ञप्ति, ज्ञाताधर्मकथांग, उपासकदशांग, मअन्तकृत्दशांग, अनुत्तरौपपातिक दशांग, प्रश्नव्याकरण, विपाक श्रुत और दृष्टिवाद। यह
द्वादशांग गणिपिटक चौदह पूर्वधारी का सम्यक् श्रुत होता है। सम्पूर्ण दश पूर्वधरों का भी ॐ सम्यक् श्रुत होता है। उससे कम धारण करने वालों में भजना है अर्थात् उनका सम्यक्
श्रुत हो भी सकता है और नहीं भी। इस प्रकार सम्यक् श्रुत का वर्णन पूर्ण हुआ। 卐 76. Question-What is this samyak shrut?
Answer-The box of knowledge comprising of the twelve Angas, propagated by Arhat Bhagavans, the possessors of the
directly acquired knowledge and perception, profoundly revered 5 and devoutly saluted by the beings of three worlds, the all ' seeing and all knowing omniscients who know past, present, 41 and future; is called samyak shrut. The Angas are--Acharang,
Sutrakritang, Sthanang, Samvayang, Vyakhya Prajnapti, EJnatadharmakathang, Upasakdashang, Antkritdashang, 5 Anuttaraupapatik dashang, Prashna Vyakaran, Vipak Shrut, 4 and Drishtivad. These twelve Angas are the samyak shrut of the 41
knowers of the fourteen purvas. These also are the samyak LE shrut of all the knowers of the ten purvas. There is an 5 ambiguity about those who know less than this. Their shrut $ may and may not be the samyak shrut. % This concludes the description of samyak shrut.
विवेचन-सम्यक् श्रुत का अर्थ हैं यथार्थ सत्य का निष्कलुष तथा प्रत्यक्ष ज्ञान। ऐसे ज्ञान के ॐ प्रणेता के लिए यहाँ सात विशेषणों का उपयोग किया हैॐ श्री नन्दीसूत्र
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Shri Nandisutra 15 0555555555555555555555555550
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