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中期分为5步步步步步步步步步步步步步555岁万岁万岁万岁万万中
से जहानामए केइ पुरिसे अव्वत्तं सुमिणं पासिज्जा, तेणं 'सुमिणे' त्ति उग्गहिए, नो, म चेव णं जाणइ 'के वेस सुमिणे' त्ति? तओ ईहं पविसइ, तओ जाणइ 'अमुगे एस म सुमिणे'। तओ अवायं पविसइ, तओ से उवगयं होइ, तओ धारणं पविसइ, तओ धारेइ संखेज्जं वा कालं असंखेज्जं वा कालं।
से तं मल्लगदिट्ठतेणं। ____ अर्थ-(१) जैसे यथा नामक कोई पुरुष अव्यक्त (अस्पष्ट) शब्द सुनकर “कोई शब्द है" इस प्रकार ग्रहण करता है किन्तु यह नहीं जानता कि यह शब्द किसका है अथवा क्या है? फिर वह ईहा में प्रवेश करता है और तब यह जान पाता है कि वह अमुक शब्द है। फिर वह अवाय में प्रवेश करता है और तब उसे उपगत हो जाता है (निश्चित सूचना आत्मसात होती है)। फिर वह धारणा में प्रवेश करता है और संख्यात अथवा असंख्यातक काल तक उस सूचना को स्मृति में धारण किए रखता है।
(२) जैसे यथा नामक कोई पुरुष अव्यक्त (अस्पष्ट) रूप को देखकर "कोई रूप है" इस प्रकार ग्रहण करता है किन्तु यह नहीं जानता कि यह रूप किसका है अथवा क्या है?
फिर वह ईहा में प्रवेश करता है और तब यह जान पाता है कि वह अमुक रूप है। फिर ॐ वह अवाय में प्रवेश करता है और तब उसे उपगत हो जाता है। फिर वह धारणा में है
प्रवेश करता है और संख्यात अथवा असंख्यात काल तक उस सूचना को स्मृति में धारण किए रखता है।
(३) जैसे यथा नामक कोई पुरुष अव्यक्त (अस्पष्ट) गंध को सूंघ कर “कोई गंध है" इस प्रकार ग्रहण करता है, किन्तु यह नहीं जानता कि यह गंध किसकी है अथवा क्या है? म फिर वह ईहा में प्रवेश करता है और तब यह जान पाता है कि वह अमुक गंध है। फिर
वह अवाय में प्रवेश करता है और तब उसे उपगत हो जाता है। फिर वह धारणा में प्रवेश करता है और संख्यात अथवा असंख्यात काल तक उस सूचना को स्मृति में धारण किए रखता है।
(४) जैसे यथा नामक कोई पुरुष अव्यक्त (अस्पष्ट) रस का स्वाद ग्रहण कर “कोई रस है" इस प्रकार ग्रहण करता है किन्तु यह नहीं जान पाता कि यह रस किसका है?
अथवा क्या है? फिर वह ईहा में प्रवेश करता है और तब वह जान पाता है कि वह के * अमुक रस है। फिर वह अवाय में प्रवेश करता है और तब उसे उपगत हो जाता है। फिर 卐 वह धारणा में प्रवेश करता है और संख्यात अथवा असंख्यात काल तक उस सूचना को - स्मृति में धारण किये करता है।
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5 श्रुतनिश्रित मतिज्ञान
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