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स्तुतियां PANEGYRICS
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अर्हत्-स्तुति THE PANEGYRIC OF THE ARHAT १ : जयइ जग-जीव-जोणी-वियाणओ जगगुरू जगाणंदो।
जगणाहो जगबंधू, जयइ जगप्पियामहो भयवं॥ अर्थ-जगत् एवं जीव योनियों के ज्ञाता, जगद्गुरु, जगत् को आनन्द प्रदान करने वाले, जगत् के नाथ, जगत् के बंधु, जगत्-पितामह भगवान की सदा जय हो। i Victory to the knower of all the species of beings, the
ultimate teacher, the source of bliss, the lord of the universe, the 5 ॐ kin of all beings, the ancestor of all ancestors.
विवेचन--जो सतत गतिशील या परिवर्तनशील हो उसे जगत् कहते हैं। जीवास्तिकाय, म धर्मास्तिकाय आदि पाँच अस्तिकाय जहाँ नित्य विद्यमान हों वह जगत् है। चेतनावान प्राणी जीव
कहलाता है। जीव के पृथ्वीकाय, अप्काय से त्रसकाय तक छह प्रकार हैं। इन जीवों का उत्पत्ति ॐ स्थान योनि कहा जाता है, जैसे-देव योनि, मनुष्य योनि, तिर्यंच योनि आदि। जगत् के समस्त 卐
पदार्थ एवं जीवों के उत्पत्ति स्थान के ज्ञाता, यह अरिहंत भगवान का विशेषण है। यहाँ गुरु का
अर्थ जीव-अजीव का सम्यग्ज्ञान प्रदान करने वाले तथा धर्म के मार्गदर्शक या उपदेष्टा हैं। अहिंसा है और शान्ति का उपदेश देने के कारण भगवान जगत् को आनन्द देने वाले हैं।
योग-क्षेमकर्ता को नाथ कहते हैं। अप्राप्त वस्तु की प्राप्ति को 'योग' तथा प्राप्त की सुरक्षा को कक्षेम' कहते हैं। अरिहन्तदेव अपूर्व सम्यग्दर्शन की प्राप्ति कराने एवं उसकी सुरक्षा करने का उपाय
बताने वाले हैं, इसलिए योग-क्षेमकर्ता अर्थात् नाथ कहे जाते हैं। समस्त जीवों को आत्म-समान ॐ मानने के कारण तथा सबके निःस्वार्थ हितचिंतक होने के कारण वे जगद् बंधु हैं। कुल का सबसे :
वृद्ध पुरुष पितामह (दादा) कहा जाता है, जो समस्त कुल के कुशल-मंगल का विचार करता है। F अरिहंत सम्पूर्ण लोक के सर्वोत्तम कुशल-मंगल-हितकारक होने से पितामह तुल्य हैं। ज्ञान आदि
अनेक आत्मिक ऐश्वर्य-सम्पन्न होने के कारण वे भगवान कहलाते हैं। (देखें चित्र १) % Elaboration–That which is ever changing and dynamic is called \ jagat (world). That where five types of astikaya (fundamental entities 55 प्रस्तुतियां
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