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________________ 6 7 F FIF IN IF 7 5 �5 5 5 5 5 5 5 5 5 6 7 4 (१४) नीव्रोदक ( वर्षा का जल ) - एक व्यापारी लम्बे समय से विदेश गया हुआ था। पीछे से उसकी पत्नी ने अपनी वासनापूर्ति हेतु अपनी सेविका द्वारा एक व्यक्ति को बुलवा लिया। उसे सजाने सवारने के लिए उसने एक नाई को भी बुलावा भेजा । नाई ने आकर उस व्यक्ति के केश व नाखून काटे और भली प्रकार स्नानादि करवा कर सजा दिया । @#555555555555555555555556 संयोगवश उस रात मूसलाधार वर्षा हुई। जब उस लम्पट को प्यास लगी तो उसने छज्जे से गिरती वर्षा के पानी की धार से चुल्लू से पानी पी लिया। छज्जे के ऊपरी भाग पर मरे हुए सॉप का शरीर पड़ा था। इस कारण पानी की वह धार विषमय हो गई थी । पानी पीते ही उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई । सेठानी घबरा गई और उसने तत्काल अपने नौकरों को बुलवा कर वह शव एक जनशून्य देवकुलिक में डलवाने को कहा । प्रातःकाल जब लोगों को शव का पता लगा और राजपुरुष उस व्यक्ति के मरने का कारण ढूँढ़ने लगे। उन्होंने देखा कि मृत व्यक्ति के नाखून और बाल तत्काल कटे हुए थे। अधिकारी ने झट से शहर के सभी नाइयों को बुलवाया और एक-एक कर सबको शव दिखाकर प्रश्न किया। एक नाई ने शव को पहचान लिया और बताया कि उसने अमुक वणिक पत्नी की दासी के बुलाने पर इस व्यक्ति को सजाया-सॅवारा था। राजपुरुषों ने दासी को जा पकड़ा और उसने डर से सारी घटना बतादी । कर्मचारियों की वैनयिकी बुद्धि से समस्या का हल निकल गया। (१५) बैल आदि - किसी गाँव में एक अत्यन्त भाग्यहीन व्यक्ति रहता था । वह जिस काम में हाथ डाला वही बिगड़ जाता था और वह संकट में पड जाता था। एक बार उसने अपने एक मित्र से हल चलाने के लिए बैलों की जोडी माँगी । काम पूरा होने के बाद जब वह बैल लौटाने आया तो मित्र भोजन कर रहा था। इसने बैलों को बाड़े में छोड़ा और यह समझ कर कि मित्र देख तो रहा ही है, बिना कुछ कहे ही लौट आया। उसका दुर्भाग्य कि बैल किसी प्रकार बाड़े से निकल गये और उन्हें कोई चुरा कर ले गया। बैलों का मालिक बाडे में बैल न देखकर इस पुण्यहीन के पास आया और अपने बैल वापस माँगने लगा । पुण्यहीन ने जब कहा कि वह बैलों को उसके सामने ही बाड़े में छोड़ आया था। तब बात बढ़ी और झगड़ा हो गया। बैलों का मालिक उसे साथ ले राजा से शिकायत करने नगर की ओर रवाना हो गया । मार्ग में एक घुड़सवार सामने से आता हुआ मिला। अचानक उसका घोड़ा बिदक गया और सवार को गिराकर भागने लगा। घोड़े का मालिक चिल्लाया- “ अरे कोई डण्डा मार कर घोड़े को रोको।" से, पर उस पुण्यहीन व्यक्ति के हाथ में एक डण्डा था । उसने गिरे हुए घुड़सवार की सहायता के उद्देश्य जैसे ही घोडा उसके निकट पहुँचा, घोड़े के डण्डा दे मारा। दुर्भाग्यवश डण्डा घोडे के मर्मस्थल लगा और तत्काल ही वह मर गया। घोड़े का स्वामी इस पर बहुत कुपित हुआ और पुण्यहीन राजा से दण्ड दिलवाने के लिए वह भी साथ हो लिया। तीनों नगर की ओर चलने लगे । को श्री नन्दी सूत्र ( २२८ ) 5 5 5 5 5 55955555 5 5 5 � Jain Education International For Private & Personal Use Only 5555555555555 Shri Nandisutra www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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