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________________ ANIPPIPROPPIPPenie. indian mannaxnn: नाममा 步步步步岁岁历历步步步步步助步步牙醫 र जब उस थैली का मालिक लौटा तो सेठ ने वह थैली उसे वापस दे दी। थैली को पहचानकर 9 और सील की जॉचकर वह व्यक्ति थैली ले गया। घर जाकर जब उसने थैली खोली तो पीतल ॥ की मुद्राएँ देखकर सिर पीट लिया। अपनी फरियाद लेकर वह न्यायाधीश के पास गया। न्यायाधीश ने सेठ को भी बुलवा लिया। थैली के मालिक से न्यायाधीश ने पूछा कि उसे थैली सेठ ज को दिये कितने वर्ष हो गये? उस आदमी ने उत्तर दिया कि पाँच वर्ष बीत गए हैं। सेठ ने भी इस बात का समर्थन किया। तब न्यायाधीश ने पीतल की मुद्राओं की परीक्षा की और पाया कि * वे तो नई बनी हुई हैं, अधिक से अधिक एक वर्ष हुआ होगा। सेठ की चालाकी पकड़ी गई। ॐ न्यायाधीश ने स्वर्ण-मुद्राएँ उनके असली मालिक को दिलवा दी और सेठ को दण्डित किया। ५. भिक्षु-एक बार एक आदमी ने किसी भिक्षु/संन्यासी के पास एक हजार मोहरें धरोहर के के रूप में रखीं और वह यात्रा पर चला गया। कुछ दिनों बाद जब वह लौटा तो संन्यासी से अपनी मोहरें मॉगीं। वह भिक्षु टालमटोल करने लगा। जब आज-कल करते कुछ दिन बीत गए तो उस आदमी को चिन्ता हुई और वह अपना धन किसी प्रकार भिक्षु से लेने के उपाय खोजने लगा। वह इसी उधेड़बुन में था कि उसे कुछ जुआरी मिले। बातों ही बातों में जब उसने उनसे ॐ अपनी समस्या बताई तो उन्होंने उसे आश्वस्त किया कि वे उसकी मोहरों भिक्षु के पास से । + निकलवा देंगे। वे उसे कुछ समझाकर उस दिन तो चले गये। अगले दिन वे जुआरी गेरुए वस्त्र पहन कर संन्यासी का वेश बना भिक्षु के पास पहुंचे और बोले-“हमारे पास सोने की ये कुछ जखूटियाँ हैं, आप इन्हें अपने पास रख लें। हमें विदेश भ्रमण के लिए जाना है, अतः हमारी ॐ समस्या यह है कि ये सोने की खूटियाँ कहाँ रखें। आप महात्मा हैं, सत्यवादी हैं और धन के प्रति आपको मोह नहीं, अतः आपसे अच्छा व्यक्ति हमें मिल नहीं सकता।" ये बातें हो ही रही थीं कि पूर्व संकेतानुसार वह व्यक्ति आ पहुंचा और बोला-“महात्मा जी ! वह एक हजार मोहरों वाली थैली जो मैं आपके पास विदेश जाने से पूर्व रख गया था, कृपया 卐 लौटा दें।" भिक्षु ने सोचा कि यदि अभी वह मना करता है तो बात बढ़ेगी और ये संन्यासी इतनी फ़ बहुमूल्य खूटियाँ मेरे पास नहीं रखेंगे। अतः उसने झट से अपनी सच्चाई का प्रभाव जमाने हेतु उस आदमी की मोहरें लौटा दीं। और वह प्रसन्न हो लौट गया। संन्यासियों के वेश में जुआरी भी किसी बहाने चलते बने। भिक्षु ठगा-सा देखता रह गया। - 1. The Honey-comb-A weaver had an infidel wife. Once when 45 the weaver had gone out of the village on some errand she established 5 illicit relations with another person. To meet her lover she went to a 55 4 thicket of Jaal trees outside the village. There was a honey-comb on one of the trees in this thicket. The weaver returned and the couple resumed there normal routine. Whenever she got an opportunity th wife went to the Jaal tree thicket for her love sojourns. FF听听听听听听FF听听听听听听听听听听听听听听听 4听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听55 55555556 श्री नन्दीसूत्र 945441 ( २०८ ) ) ) )) Shri Nandisutra ) ) ) )) ) ) ) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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