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________________ - 4 F S S IN F S S - 4 F -5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 ! ! ! ! ! ! ! ! !5 5 5 5 ନ 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 卐 राजा चौंककर बोला- “क्यों ? क्या बात है भाई ?" यह सुन राजा ने कौतूहलपूर्वक रोहक द्वारा बनाये मानचित्र को ध्यान से देखा । वह ठगा-सा रह गया और सोचने लगा- यह छोटा-सा बालक बड़ा मेधावी लगता है। इसने नगर भ्रमण करके 55 ही पूरा मानचित्र बना दिया। मेरे चार सौ निन्यानवे मंत्री हैं। यदि उनका मुखिया इस बालक कुशाग्र बुद्धि वाला महामंत्री हो तो राज्य का कितना विकास हो । किन्तु पहले इसकी परीक्षा लेनी चाहिए। राजा ने रोहक का परिचय व गाँव का नाम पूछा और नगर की ओर लौट गया । कुछ देर में भरत लौट आया और रोहक को साथ ले अपने गाँव चला आया । रोहक - " महाशय, यह राजभवन है । यहाँ बिना राजाज्ञा के कोई प्रवेश नहीं कर सकता । " जैसा राजा यह घटना भूला नहीं और उसने रोहक की बुद्धि परीक्षा का प्रबन्ध कर दिया। (२) शिला - राजा ने सबसे पहले रोहक के गाँव वालों को बुलाया और कहा - " तुम लोग मिलकर एक ऐसा मण्डप बनाओ जो राजा के योग्य हो और उसे गाँव के बाहर पडी विशाल शिला से ढको । पर ध्यान रहे शिला को वहॉ से न उखाडा जाये । ” राजा की आज्ञा सुन नट अपने गाँव लौट आये और चिन्ता में पड़ गये - " मण्डप तो बना देंगे पर शिला को उठाए बिना मण्डप पर कैसे रखेंगे।" यह विचार-विमर्श चल ही रहा था कि रोहक अपने पिता को भोजन के लिए बुलाने वहाँ पहुँचा । उसने नटों की वातें सुनी और उनकी चिन्ता को तत्काल समझ गया। गाँव के बड़ों की ओर देखकर वह बोला- “ आप इतनी छोटी-सी बात को लेकर व्यर्थ चिन्ता कर रहे हैं। मैं अभी आपकी चिन्ता मिटा देता हूँ ।" से हैरान हो मुखिया ने बालक रोहक से उपाय पूछा। रोहक ने समझाया - "सर्वप्रथम आप शिला कुछ दूर चारों ओर की भूमि को खोद डालो । शिला के चारों ओर उसके नीचे ऐसे स्तम्भ खड़े कर स्तम्भों दो जिन पर शिला टिक जाए। इसके बाद शिला के नीचे की मिट्टी निकाल दो। अंत में को जोड़ती हुई सुन्दर दीवारें खड़ी कर दो। इस प्रकार मंडप भी तैयार हो जाएगा और शिला को हटाना भी नहीं पड़ेगा । " गाँव वाले बड़े प्रसन्न हुए और उसके निर्देशानुसार सुन्दर मण्डप तैयार कर दिया। कार्य पूर्ण होते ही वे गर्व सहित राजा के पास गए और सूचना दी कि "उनके कथनानुसार मंडप तैयार हो गया है । जब चाहे निरीक्षण कर लें। " राजा ने आकर मंडप देखा और प्रसन्न होकर पूछा - " तुम्हें मंडप बनाने की यह विधि किसने सुझाई ?” ग्रामीणों ने एक स्वर में रोहक का नाम लिया और उसकी बुद्धि तथा चतुराई की प्रशंसा की। राजा को इसी उत्तर की अपेक्षा थी । उसने भी रोहक की प्रशंसा की और लौटकर दूसरी परीक्षा की योजना बनाने लगा । श्री नन्दी सूत्र Jain Education International ( १७० For Private & Personal Use Only Shri Nandisutra फ्र 5555555555555555555555555 www.jainelibrary.org
SR No.007652
Book TitleAgam 31 Chulika 01 Nandi Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorDevvachak
AuthorAmarmuni, Tarunmuni, Shreechand Surana, Trilok Sharma
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1998
Total Pages542
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_nandisutra
File Size19 MB
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