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55555555555534559a amanTTHALAY 2 Avadhi-jnana is effective only in the area where it has been
acquired and while the person is in that area he sees and knows the physical objects, related or unrelated to the area of influence, existing in an area extending to countable or uncountable yojans. When he shifts from that area it becomes ineffective.
This concludes the description of Ananugamik Avadhi-jnana. ॐ विवेचन-यहाँ क्षेत्र का अर्थ स्थान तथा भव दोनों है। सम्बन्धित का अर्थ है व्यवधानरहित है
अथवा जिस वस्तु और देखने वाले के बीच में कोई वाधा नहीं है, कोई आड नहीं है ऐसी वस्तु को देखना-जानना। असम्बन्धित का अर्थ है व्यवधान सहित अथवा जिस वस्तु और देखने वाले
के बीच कोई बाधा है, कोई आड़ है ऐसी वस्तु को देखना-जानना। Le Elaboration-Here kshetra means place and re-birth both.
Sambandhit (related or connected) means without any blockade; 41 without any obstacle between the subject and object. To know such a
thing. Asambandhit (unrelated or disconnected) means with blockade; with an obstacle between the subject and object. To know such a thing.
वर्द्धमान अवधिज्ञान का स्वरूप
VARDHAMAN AVADHI-JNANA १३ : से किं तं वड्डमाणयं ओहिणाणं ?
वड्डमाणयं ओहिणाणं पसत्थेसु अज्झवसाणट्ठाणेसु वड्डमाणस्स वड्डमाणचरित्तस्स विसुज्झमाणस्स विसुज्झमाणचरित्तस्स सव्वओ समंता ओही वड्डइ। * अर्थ-प्रश्न-यह वर्द्धमान अवधिज्ञान कैसा होता है ? + उत्तर-अध्यवसाय स्थानों अर्थात् विचारों व भावों के प्रशस्त बने रहने से सम्यक् ।
चारित्र में वृद्धि होती है और फलस्वरूप चारित्र में विशुद्धि आती है। इस विशुद्धि से + आत्मा में उत्पन्न अवधिज्ञान सभी दिशाओं में वृद्धि पाता है। इस बढ़ते हुए अवधिज्ञान को वर्द्धमान अवधिज्ञान कहते हैं।
13. Question-What is this Vardhaman Avadhi-jnana ? 9 Answer--When the areas of spiritual endeavour, in other 4 Si words thoughts and attitudes, are active in the right direction
there is an improvement in the right conduct and as a
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