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शाळा
६ : से किं तं ओहिनाणपच्चक्खं ? ओहिनाणपच्चक्खं दुविहं पण्णत्तं,
तं जहा - भवपच्चत्तियं च खओवसमियं च ।
अर्थ - प्रश्न - वह अवधिज्ञान प्रत्यक्ष क्या है ?
उत्तर - अवधिज्ञान प्रत्यक्ष दो प्रकार का बताया है - ( १ ) भवप्रत्ययिक, तथा (२) क्षायोपशमिक |
6. Question-What is this Avadhi-jnana Pratyaksh?
Answer-Avadhi-jnana Pratyaksh is said to be of two types (1) Bhavapratyayik and (2) Kshayopashamik.
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अवधि- ज्ञान
AVADHI-JNANA
विवेचन - अवधिज्ञान के दो भेदों में प्रथम वह है जो जन्म लेते ही नैसर्गिक रूप से प्रकट जाता है, इसे भवप्रत्ययिक कहते हैं। जो प्रयत्न से अर्थात् संयम, नियम, व्रतादि आत्म-शुद्धि के अनुष्ठानों के फलस्वरूप उत्पन्न होता है उसे क्षायोपशमिक कहते हैं ।
७: दोहं भवपच्चत्तियं,
Elaboration-Of the two types of avadhi-jnana the first one is that which automatically and naturally manifests itself at the time birth of a being. It is called Bhavapratyayik or associated with birth. The second one is that which is gained by endeavors such as practices of discipline, following codes of conduct, observing vows, etc. aimed at spiritual purity. It is called kshayopashamik or associated with extinction-cum-suppression of karmas.
अवधि- ज्ञान
तं जहा- देवाणं च णेरइयाणं च ।
अर्थ - प्रश्न- वह भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान किन्हें होते हैं ?
उत्तर- भवप्रत्ययिक अवधिज्ञान दो प्रकार के जीवों को होता है - (१) देवों को तथा (२) नारकीय जीवों को ।
7. Question — Who has this Bhavapratyayik avadhi-jnana ?
Answer-Two types of beings have this Bhavapratyayik avadhi-jnana-1. The gods, and 2. the hell beings.
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Avadhi-Jnana
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