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1 बारहवाँ अध्ययन : उदक ज्ञात : आमुख
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शीर्षक-उदए-उदगे-उदक-पानी। प्रदूषण अथवा गुण परिवर्तन का सबसे व्यापक उदाहरण है पानी। इस दा 15 उदाहरण के माध्यम से वस्तु की निरन्तर परिवर्तनशीलता को दर्शाकर इस अध्ययन में यह संकेत दिया है कि SI 12 वस्तु को समझने-स्वीकारने से पूर्व उसके गुण-स्वभाव तथा परिवर्तन का सूक्ष्म निरीक्षण करना चाहिए। निरन्तर
E परिवर्तनशीलता को आत्मसात करना राग-द्वेष से बचने का प्रभावी उपाय है। एक जटिल विषय को खाई के जल टा 15 जैसे व्यापक उदाहरण से सहज बोध-गम्य बना दिया है इस अध्ययन में।
र कथासार-चम्पानगरी में राजा जितशत्रु राज्य करता था। उसके मंत्री का नाम सुबुद्धि था और वह तत्त्वज्ञ 15 श्रमणोपासक था। एक बार बहुत स्वादिष्ट भोजन करने के बाद राजा ने उस भोजन की बहुत प्रशंसा की। अन्य द
सभी उपस्थित जनों ने राजा का अनुमोदन किया किन्तु सुबुद्धि ने कहा कि इसमें उसे कोई आश्चर्यजनक बात नहीं की र लगी। संसार में सुन्दर लगती वस्तुएँ भी खराब हो जाती हैं और खराब लगने वाली वस्तुएँ भी अच्छी लगने लगती र हैं, यह तो वस्तु का परिवर्तनशील स्वभाव है। राजा सुबुद्धि मंत्री के इस व्यवहार से संतुष्ट नहीं हुआ। २ चम्पानगरी के बाहर एक खाई थी जिसका जल अत्यन्त प्रदूषित तथा दुर्गन्धपूर्ण था। एक बार राजा उसड र दुर्गन्ध भरे पानी वाली खाई के पास से निकला। वह वहाँ से शीघ्र ही आगे बढ़ गया और तिलमिला कर उस गंदे 15 पानी की निंदा करने लगा। इस बार भी अन्य सब ने राजा का अनुमोदन किया पर सुबुद्धि ने वही बात दोहराई। 15 राजा सुबुद्धि के कथन से क्षुब्ध होकर बोला कि उसे यथार्थ के विषय में मिथ्या प्रचार नहीं करना चाहिये।
र सुबुद्धि ने मन ही मन सोचा कि किसी उपाय से राजा को जिन-प्रतिबोधित धर्म की बातें समझानी चाहिये। ट 15 यह सोचकर उसने खाई से गंदा पानी निकलवाकर साफ करके छनवाकर घड़ों में भरवाया। सात दिन बाद उसे द ३ पुनः नए घडों में छनवाकर राख आदि मिलाकर रख दिया। इस प्रकार सात-सात दिन के अन्तर से सात बार शद्ध र करवाने से वह पानी पीने योग्य निर्मल बन गया। फिर उसे सुगंध युक्त कर के राजा के जलसेवक को दिया और 15 कहा कि भोजन के बाद राजा को यही जल परोसा जाय। र भोजन के पश्चात् जब राजा ने वह पानी पीया तो उसके स्वाद तथा सुगंध से वह आनन्दित हो गया। उसने S र सेवक से पूछा कि यह पानी कहाँ से आया? सेवक ने जब बताया कि सुबुद्धि मंत्री ने भिजवाया है तो राजा ने 2 15 सुबुद्धि को बुलाकर पूछा। सुबुद्धि ने बताया कि यह जल तो वही खाई का गन्दा पानी था। राजा को विश्वास नहीं ट २ हुआ और उसने मंत्री द्वारा बताये तरीके से स्वयं पानी शुद्ध करवाकर जाँच की। मंत्री की बात सत्य सिद्ध होने ६ र पर उसे बुलवाकर जिन-धर्म का श्रवण किया। फिर राजा श्रमणोपासक बन गया। अन्ततः उसने मंत्री सहित दीक्षा र ग्रहण की और साधना कर मोक्ष प्राप्त किया।
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CHAPTER-12 : THE WATER
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