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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा 15 citizens led by king Shrenik came to attend his discourse. They returned
after the discourse. 5 आराधक-विराधक सम्बन्धी जिज्ञासा र सूत्र ४ : तए णं गोयमो समणं भगवं महावीरं एवं वयासी-'कहं णं भंते ! जीवा आराहगा 2 15 वा विराहगा वा भवंति?'
र सूत्र ४ : तब गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान महावीर से प्रश्न किया-“भंते ! जीव किस प्रकार से 15 आराधक और किस प्रकार विराधक होते हैं ?" » CURIOSITY ABOUT ASPIRER AND DECLINERS
4. After that, Gautam Swami put forth a question before Shraman ] 5 Bhagavan Mahavir ----"Bhante! how does a being become an aspirer and how 15 does it become a decliner?”
र सूत्र ५ : गोयमा ! से जहाणामए एगंसि समुद्दकूलंसि दावद्दवा नामं रुक्खा पण्णत्ता-किण्हा 15 जाव निउरंबभूया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणाडा र उवसोभेमाणा चिट्ठति।
जया णं दीविच्चगा ईसिं पुरेवाया पच्छावाया मंदावाया महावाया वायंति, तदा णं बहवे B दावद्दवा रुक्खा पत्तिया जाव चिट्ठति। अप्पेगइया दावद्दवा रुक्खा जुन्ना झोडा परिसडिय-पंडुपत्त15 पुष्फ-फला सुक्करुक्खओ विव मिलायमाणा चिटुंति।
__ सूत्र ५ : “गौतम ! समुद्र के तट पर दावद्रव नामक वृक्ष होते हैं। वे बादलों के समूह जैसे घने टा 5 और कृष्ण वर्ण के होते हैं। वे फल और पत्तों से भरपूर और अपनी हरियाली छटा से बड़े डी र मनोहारी और शोभनीय लगते हैं।
____ “जब जलकणों से स्निग्ध पुरवाई, पछाहीं, बयार या आँधी द्वीप की दिशा से चलती है तब टा र अनेक दावद्रव के वृक्ष तो अपने पत्तों समेत ज्यों के त्यों खड़े रहते हैं। पर कुछएक वृक्ष टूट जाते । र हैं, कुछ के पत्ते सड़ जाते हैं और वे पीले पत्तों, फूलों और फलों के झड़ जाने से ढूंठ जैसे मुरझाये 5 खड़े रहते हैं।
5. “Gautam! On the seashore there are trees of Davadrav (a species of a 5 trees, possibly rubber). They are thickly bunched and deep green like dark ट 15 monsoon clouds. Rich with leaves and fruits, their lush green beauty is Fenchanting.
“When the humid eastern wind, western wind, a breeze, or a gale blows from the direction of the island many of these Davadrav trees remain
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