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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र (भाग :
२)
चित्र परिचय
THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
प्रलोभनों का दुष्परिणाम
चित्र : २
सूली पर टँगे पुरुष के बताये अनुसार भयभीत हुए दोनों भाइयों ने देवी के चंगुल से छूटने के लिए शैलक यक्ष की पूजा एवं प्रार्थना की- “ इस दुष्ट देवी के चंगुल से हमारी रक्षा कीजिए | " यक्ष ने अपनी शर्त रखी - " मैं अश्वरूप धारणकर तुम्हें पीठ पर बैठाकर इच्छित स्थान पर पहुँचा सकता हूँ, किन्तु देवी के मायाजाल में लुभाकर जरा-सा भी मन विचलित कर दिया तो मैं पीठ पर से गिरा दूँगा । यदि तुम स्थिर चित्त रहे तो तुम्हें सुरक्षित पहुँचाऊँगा । "
शर्त मान्य करने पर विशाल अश्वरूप धारणकर शैलक यक्ष ने उन्हें पीठ पर बिठाया और समुद्र के ऊपर से चंपानगरी की तरफ उड़ा। पता लगते ही देवी हाथ में तलवार लेकर पीछे दौड़ी। उसके मधुर वचनों से जिनरक्षित का मन कुछ विचलित हो उठा। उसने पीछे मुड़कर देखा । तभी शैलक यक्ष ने उसे पीठ पर से गिरा दिया। क्रूर देवी ने बीच में ही उसे झेल लिया और तलवार से टुकड़े-टुकड़े कर डाले । ( नवम अध्ययन )
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THE CONSEQUENCES OF ATTRACTION
ILLUSTRATION : 2
As advised by the man on the gibbet sons of Makandi started doing worship of Shailak Yaksh, "To free themselves from the clutches of the goddess." The Yaksh came and said, "When you are half way accross the sea the goddess will try to distract you. If you give heed to her gestures, I will throw you off of my back. However, if you ignore her gestures I will free you from her clutches."
The sons of Makandi agreed. Shailak transformed himself into a giant horse, took them on his back, and commenced his flight over the sea towards Champa. When the evil goddess found them crossing the sea she rushed after them with her sword and tried to lure them with sweet words. Jinarakshit was lured and looked at the goddess. Shailak became aware of this and pushed him off of his back. The she-devil sliced Jinarakshit into pieces with her sword. Stable-minded Jinapalit reached home safely. ( CHAPTER-9)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SÜTRA (PART-2)
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