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मIDDOODUDDDDDDDDDजज क(२८)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र SH 5 goddess will try to distract you by a variety of harsh and tender, favourable ci
and unfavourable, and attractive and enchanting methods. Beloved of gods!
If you honour, accept, or even give heed to her inviting gestures, I will throw » you off my back. However, if you do not do that and ignore her gestures I will 1 certainly free you from the clutches of the evil goddess of Ratnadveep." 5 सूत्र ३४ : तए णं ते मागंदियदारया सेलगं जक्खं एवं वयासी-जं णं देवाणुप्पिया ! र वइस्संति तस्स णं उववायवयणणिद्देसे चिट्ठिस्सामो। 5 सूत्र ३४ : माकन्दी पुत्रों ने उत्तर दिया--"देवानुप्रिय ! आप जैसा कहेंगे हम उसी के अनुसार र उपासना (सेवा), वचन (आदेश), तथा निर्देश (आज्ञा) पालन में ही रहेंगे।"
34. The sons of Makandi replied, “Beloved of gods! we shall strictly adhere ट 15 to your advice, instruction, and direction.” 5 शैलक द्वारा उद्धार र सूत्र ३५ : तए णं से सेलए जक्ने उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता 2 5वेउव्विय-समुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता संखेज्जाइं जोयणाई दंडं निस्सरइ, दोच्चं पि तच्चं द र पि वेउव्विय-समुग्घाएणं समोहणइ, समोहणित्ता एगं महं आसरूवं विउव्वइ। विउव्वित्ता ते ड र मागंदियदारए एवं वयासी-हं भो मागंदियदारया ! आरुह णं देवाणुप्पिया ! मम पिटुंसि।' 15 सूत्र ३५ : तब शैलक यक्ष उत्तर-पूर्व दिशा में गया और वैक्रिय समुद्घात कर अपने शरीर को 5 र संख्यात योजन के एक दंड में परिवर्तित किया। पुनः दो वार वही क्रिया करके उसने एक बड़े ट 5 विशाल अश्व का रूप धारण किया और माकन्दी पुत्रों से कहा-“हे माकन्दी पुत्रों ! मेरी पीठ पर द
चढ जाओ।"
ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ए
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DELIVERANCE BY SHAILAK
35. Shailak Yaksh went in the north-eastern direction and with the help 15 of Vaikriya Samudghat transformed himself into an enormous rod. Going
through the same process twice again he finally transformed himself into a 15 giant horse. He then called the sons of Makandi, “O sons of Makandi! come, S Pride on my back.” र सूत्र ३६ : तए णं से मागंदियदारया हट्टतुट्टा सेलगस्स जक्खस्स पणामं करेंति, करित्ता ८
सेलगस्स पिढेि दुरूढा 5 तए णं से सेलए ते मागंदियदारए पिट्टि दुरुढे जाणित्ता सत्तट्ठतालप्पमाणमेत्ताई उड्ढं वेहायं दी 15 उप्पयइ, उप्पइत्ता य ताए उक्किट्ठाए तुरियाए देवयाए देवगईए लवणसमुदं मझंमज्झेणं जेणेव
जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, जेणेव चंपानयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए। 7 (28)
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA ynnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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