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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा During that period of time the goddess named Ila was sitting on a throne B named Ila in the Viman named Ilavatansak in the capital city named a 5 Dharani. All other details being same as in case of Goddess Kali. र सूत्र ५४ : पुव्वभवपुच्छा। वाराणसीए णयरीए काममहावणे चेइए, इले गाहावई, इलसिरी टा 15 भारिया, इला दारिया, सेसं जहा कालीए। णवरं-धरणस्स अग्गमहिसित्ताए उववाओ, सातिरेगंड
र अद्धपलिओवमं ठिई। सेसं तहेव। 15 सूत्र ५४ : उसके पूर्व-भव के विषय में भगवान ने बताया-वाराणसी नगरी के बाहर ड
र काममहावन नामक चैत्य था। वाराणसी में इला गाथापति रहता था। उसकी पत्नी इलाश्री थी और ट 15पुत्री इला। शेष वृत्तान्त काली देवी के समान। विशेष यह कि इला धरणेन्द्र की अग्रमहिषी है और ड 12 उसकी आयु अर्द्ध पल्योपम से कुछ अधिक। 15 54. About her earlier incarnation Bhagavan said, “There was a Chaitya
named Kamamahavan outside Varanasi city. A citizen named II lived there. 12 The name of his wife was Ilshri and that of his daughter was Ila. The rest of 2 Kthe details are exactly as those of Goddess Kali, the only difference being a 15 that Ila is the principal-queen of Dharanendra, and her life-span is a little 5 more than half Palyopam.
सूत्र ५५ : एवं खलु . . . . निक्खेवओ पढमज्झयणस्स। र सूत्र ५५ : प्रथम अध्ययन का भगवान ने यही अर्थ बताया है।
55. Jambu! This is the meaning of the first chapter.
॥ पढम अज्झयणं समत्तं ॥
॥ प्रथम अध्ययन समाप्त ॥ || END OF CHAPTER ONE ||
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA I innnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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