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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र | 15 सूत्र ३६ : हे जम्बू ! काल के उस भाग में राजगृह नगर में गुणशील नामक उद्यान में श्रमण डा
र भगवान महावीर पधारे। परिषद् निकली तथा उनकी उपासना में लीन हो गई। 15 36. Jambu! During that period of time Shraman Bhagavan Mahavir 15 arrived in Rajagriha and stayed in the Gunashil Chaitya. A delegation of 12 citizens came and commenced his worship. 15 सूत्र ३७ : तेणं कालेणं तेणं समएणं राई देवी चमरचंचाए रायहाणीए एवं जहा काली डा
2 तहेव आगया, णट्टविहिं उवदंसेत्ता पडिगया। ‘भंते त्ति' भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइट 5 णमंसइ, वंदित्ता णमंसित्ता पुव्वभवपुच्छा। र सूत्र ३७ : काल के उस भाग में राजी नामक देवी चमरचंचा राजधानी से काली देवी के समान ट 5 ही भगवान की सेवा में आई और नाट्यादि का प्रदर्शन कर लौट गई। गौतम स्वामी ने भगवान ड र महावीर से उसके पूर्व-भव के विषय में प्रश्न किया। 5 37. During that period of time, as did goddess Kali another goddess S 5 named Raji came from the capital city Chamarchancha, performed dances, ]
etc. and returned. Gautam Swami asked Shraman Bhagavan Mahavir about a P her earlier births. 15 सूत्र ३८ : एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा णयरी, अंबसालवणे , र चेइए, जियसत्तू राया, राई गाहावई, राईसिरी भारिया, राई दारिया, पासस्स समोसरणं, राई द
दारिया जहेव काली तहेव णिक्खंता तहेव सरीरबाउसिया, तं चेव सव्वं जाव अंतं काहिइ। 15 सूत्र ३८ : भगवान महावीर ने विस्तार से उसका वर्णन किया-“हे गौतम ! काल के उस भाग ड 15 में आमलकल्पा नगरी के बाहर आम्रशालवन था। वहाँ का राजा जितशत्रु था। वहाँ राजी नाम का ही र एक गाथापति था। जिसकी पत्नी का नाम राजश्री और पुत्री का नाम राजी था। एक बार अर्हत् द 5 पार्श्वनाथ वहाँ पधारे और राजी उन्हें वन्दन करने गई। फिर उसने दीक्षा ले ली, पर कुछ समय ड र वाद शरीर की शोभा में आसक्त हो गई। अन्ततः मृत्यु प्राप्त कर वह देवी बनी और भविष्य में 2 र महाविदेह में जन्म ले सिद्धि प्राप्त करेगी। (विस्तृत विवरण काली देवी के समान) ? 38. Shraman Bhagavan Mahavir narrated her story in details—“Gautam!
During that period of time there was a garden named Amrashalvan outside 15 the city of Amalkalpa. The king of this city was Jitshatru. In the city lived a S citizen named Raji. The name of his wife was Rajshri and that of his daughter was Raji. Once Arhat Parshvanath arrived in the town and Raji went to pay him homage. Later she got initiated. After some time she got
excessively concerned about her body. In the end she died and reincarnated 7 (364)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA I FinnAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAMy
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