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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र ड 15 सूत्र २२ : “देवानुप्रिय ! यह काली नाम की कन्या हमारी पुत्री है। यह हमें इष्ट, प्रिय आदि डा
र है। यह संसार-भ्रमण के भय से उद्विग्न होकर आपके पास दीक्षा लेना चाहती है। अतः हम आपको डी 5 यह शिष्य-भिक्षा देते हैं। कृपया इसे स्वीकार करें।"
“देवानुप्रिय ! जिसमें सुख मिले वह निर्विलम्ब करो।"
22. “Beloved of gods! This is our cherished, adored, (etc.) and beloved $ daughter Kali. She is disturbed by the fear of the cycles of rebirth and
desires to get initiated into your order. Kindly accept her as a disciple- 9 donation from us."
“Beloved of gods! Do as you please without any delay."
सूत्र २३ : तए णं सा काली कुमारी पासं अरहं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ही 15 उत्तरपुरत्थिमं दिसिभायं अवक्कामइ, अवक्कमित्ता सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ, ओमुइत्ता टा
र सयमेव लोयं करेइ, करित्ता जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता । 15 पासं अरहं तिक्खुत्तो वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते ! लोए, एवं द
र जहा देवाणंदा, जाव सयमेव पव्वावेउं। 15 सूत्र २३ : कालीकुमारी ने अर्हत् पार्श्व को वन्दना की और उत्तर-पूर्व दिशा में जाकर अपने ट र आभूषण आदि उतारे और स्वयं ही केश-लोच किया। फिर वह अर्हत् पार्श्व के पास लौटी और डा तीन बार वन्दन करके बोली-“भन्ते ! यह लोक धधक रहा है . . . . (भगवतीसूत्र में वर्णित ट्र
देवानन्दा के कथन के समान)। अतः मेरा अनुरोध है कि आप स्वयं मुझे दीक्षा प्रदान करें।" र 23. Kali, then, formally offered salutations to Arhat Parshvanath. She Sl
went in the northeastern direction and took off her ornaments, (etc.) and 5 pulled out her hair herself. After this, she returned to Arhat Parshvanath
and after offering three salutations said, “Bhante! This world is burning fiercely in the fire of aging and death. . . . . . . . . (detailed description of the initiation is same as that of Devananda in Bhagavati Sutra) So I beg you to initiate me into your order."
सूत्र २४ : तए णं पासे अरहा पुरिसादाणीए कालिं सयमेव पुप्फचूलाए अज्जाए दी IP सिस्सिणियत्ताए दलयति। र तए णं सा पुष्फचूला अज्जा कालिं कुमारि सयमेव पव्वावेइ, जाव उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। डा
तए णं सा काली अज्जा जाया ईरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी। तए णं सा काली अज्जाट र पुप्फचूला अज्जाए अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाइं अहिज्जइ, बहूणि चउत्थ जावडी र विहरइ।
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JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA 2 Sinnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn)
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