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कण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्ण्य
प्रपतनपाएUUUU क ( ३४८ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र || सूत्र ४ : हे जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने धर्मकथा नाम के द्वितीय श्रुतस्कंध के दस वर्ग 15 बताये हैं; वे इस प्रकार हैं
१. प्रथम वर्ग-चमरेन्द्र की अग्रमहिषियों (पटरानियों) का। २. द्वितीय वर्ग-वैरोचनेन्द्र (बलीन्द्र) अथवा वैरोचनराज बलि की पटरानियों का। ३. तृतीय वर्ग-असुरेन्द्र के अतिरिक्त शेष नौ दक्षिण दिशा के भवनपति इन्द्रों की टी ___ अग्रमहिषियों का। ४. चतुर्थ वर्ग-असुरेन्द्र के अतिरिक्त नौ उत्तरदिशा के भवनपति इन्द्रों की पटरानियों का। ५. पंचम वर्ग-दक्षिण दिशा के वाणव्यन्तर देवों के इन्द्रों की पटरानियों का। ६. षष्ठम वर्ग-उत्तर दिशा के वाणव्यन्तर देवों के इन्द्रों की पटरानियों का। ७. सप्तम वर्ग-चन्द्र की अग्रमहिषियों का। ८. अष्टम वर्ग-सूर्य की अग्रमहिषियों का। ९. नवम वर्ग-शक्र इन्द्र की पटरानियों का। और
१०. दशम वर्ग-ईशानेन्द्र की पटरानियों का। 15 SUDHARMA SWAMI REPLIES > 4. Jambu! According to Shraman Bhagavan Mahavir the second part,
known as Dharma Katha, is divided into ten sections; they are-(1) First section—The principal queens of Chamarendra. (2) Second section—The principal queens of Vairochanendra (Balindra) or the Vairochana king Bali. ट
3) Third section--The principal queens of the nine Viman dwelling kings of C 15 gods of the southern direction, other then the Asurendra. (4) Fourth GI
section—The principal queens of the nine Viman dwelling kings of gods of
the northern direction, other then the Asurendra. (5) Fifth section-The > principal queens of the kings of the Van-vyantar gods of the southern 2. direction. (6) Sixth section-The principal queens of the kings of the Van- 2 र vyantar gods of the northern direction. (7) Seventh section-The principal | 1 queens of Chandra (the moon god). (8) Eighth section---The principal queens al 5 of Surya (the sun god). (9) Ninth section-The principal queens of दा
Shakrendra (the king of gods of Saudharmkalp or the first dimension of |5 gods). and (10) Tenth section-The principal aueens of Ishanendra (the king (
of gods of Ishankalp or the second dimension of gods). 5 काली देवी का आगमन र सूत्र ५ : जइ णं भंते ! समणेणं जाव संपत्तेणं धम्मकहाणं दस वग्गा पन्नत्ता, पढमस्स णं र भंते ! वग्गस्स समणेणं जाव संपत्तेणं के अटे पण्णत्ते ?
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA Finnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn
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