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र अठाहरवाँ अध्ययन ः सुसुमा
( ३१७ ) र दारियं णिव्वाहित्तए, ताहे संते तंते परितंते नीलुप्पलं असिं परामुसइ, परामुसित्ता सुसुमाए भी
दारियाए उत्तमंगं छिंदइ, छिंदित्ता तं गहाय तं अगामियं अडविं अणुपवितु। र सूत्र ३0 : जब चिलात ने देखा कि धन्य सार्थवाह. अपने पाँच पुत्रों सहित अस्त्र-शस्त्र से 5 र सज्जित हो उसका पीछा कर रहा है तो वह निस्तेज, निर्बल, पराक्रमहीन और वीर्यहीन हो गया। टा 15 जब वह थक गया और ग्लानि से श्रान्त हो गया तो उसे लगा कि वह सुंसुमा को साथ ले जाने में डा र समर्थ नहीं है। उसने तत्काल नीलकमल जैसी नीली तलवार हाथ में ली और सुंसुमा का सर काट डा र लिया। वह कटा हुआ सर हाथ में लिए चिलात उस दुर्गम अटवी में आगे बढ़ गया।
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5 BEHEADING OF SUMSUMA 15 30. When Chilat saw Dhanya merchant and his five sons, well equipped]] 12 with weapons, following him, he lost his vigour, strength, power, and valour. 2 When he got tired and depressed with failure he realized that he was not 5 capable of carrying Sumsuma along. He at once took out a blue sword and 15 beheaded Sumsuma. Taking the disjointed head he went further into the 5 wilderness. र सूत्र ३१ : तए णं चिलाए तीसे अगामियाए अडवीए तण्हाए अभिभूए समाणे डी 15 पम्हढदिसाभाए सीहगुहं चोरपल्लिं असंपत्ते अंतरा चेव कालगए।
र सूत्र ३१ : चिलात चोर उस दुर्गम अटवी में भटक गया और चोर बस्ती नहीं पहुँच सका। डा 15 उसने भूख-प्यास से त्रस्त होकर वहीं दम तोड़ दिया। 13 31. Chilat lost his way in the wilderness and could not reach the hideout. I 15 He got emaciated due to thirst and hunger and died.
र सूत्र ३२ : एवामेव समणाउसो ! जाव पव्वइए समाणे इमस्स ओरालियसरीस्स वंतासवस्स दी 15 जाव वण्णहेउं जाव आहारं आहारेइ, से णं इहलोए चेव बहूणं समणाणं समणीणं सावयाणं SI
र हीलणिज्जे जाव अणुपरियट्टिस्सइ, जहा व से चिलाए तक्करे। 15 सूत्र ३२ : हे आयुष्मान् श्रमणों ! हमारे जो साधु साध्वी दीक्षा लेने के बाद वात-पित्तादि अशुचि डी र पदार्थों के भण्डार इस नाशवान औदारिक शरीर के सौंदर्य हेतु आहारादि चेष्टाओं में लिप्त हो । र जाते हैं वे इस लोक में अनेक श्रमण-श्रमणियों तथा श्रावक-श्राविकाओं की अवहेलनाके पात्र बनते दा 15 हैं और उसी प्रकार संसार अटवी में फँस कर दुःख भोगते हैं, जैसे चिलात चोर ने भोगा।
र 32. Long-lived Shramans! In just this way, those of our ascetics who, after टा 5 getting initiated, indulge in activities like consuming rich food etc. in order to 5 pamper this mortal physical body which is a storehouse of foul waste matter SI
like wind, phlegm, and faeces, become the objects of neglect and disrespect of S 5 CHAPTER-18 : SUMSUMA
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