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________________ सत्रहवाँ अध्ययन : आकीर्ण: आमुख Snnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnnn) शीर्षक-आइण्णे-आकीर्ण-एक उत्तम जाति विशेष के अश्व। इन्द्रिय-सुखों के आकषर्णों के विस्तृत जाल हर कदम पर साधना पथ पर बिछे होते हैं। तनिक चूके कि जाल में फँसे। अश्वों के पकड़े जाने के उदाहरण से विषयों की आसक्ति अनासक्ति के परिणाम को स्पष्ट किया गया है। ___ कथासार-हस्तिशीर्ष नगर के कतिपय व्यापारी व्यापार हेतु समुद्र यात्रा पर निकले। समुद्री तूफान में फँस कर वे एक अनजाने कालिक द्वीप में जा पहुंचे। वहाँ उन्होंने अनेक खनिज पदार्थ तथा उत्तम जाति के घोड़ों के झुंड देखे। उन्होंने खनिजों से अपना जहाज भरा और हस्तिशीर्ष लौट आए। वे राजा को भेंट देने गये तो राजा ने पूछा कि तुमने कोई आश्चर्यजनक वस्तुएँ भी कभी देखीं? उन्होंने राजा से कहा कि कालिक द्वीप के सुन्दर अश्व सचमुच ही आश्चर्यजनक हैं। राजा ने अपने सेवकों को व्यापारियों के साथ कर दिया और कहा कि घोड़े पकड़ कर लावें। राजा के सेवक घोड़ों को लुभाने वाली अनेक वस्तुएँ साथ लेकर द्वीप पर आए और अपने जाल बिछा दिये। घोड़ों का समूह वहाँ आया तो अनेक घोड़े उन विभिन्न वस्तुओं से आकर्षित हुए और जाल में फँस गये। अन्य अनेक अश्व दूर से ही बिदक कर अपने चारागाह की ओर लौट गए। __ सेवक घोड़ों को जहाज में भरकर ले आए और राजा के पास पहुँचा दिये। राजा ने अश्व-मर्दकों को बुलाकर घोड़ों को कार्य योग्य बनाने का प्रशिक्षण दिलाया। इस प्रकार जो घोड़े आकर्षण में फँस गये थे वे बंदी बनाए गये और अनेक प्रकार की पीड़ा सहते हुए जीवन बिताने लगे। जो आकर्षण में नहीं फँसे वे स्वच्छंद सुखमय जीवन बिताते रहे। 6) JNĀTĀ DHARMA KATHÂNGA SÜTRA CI - - - - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007651
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1997
Total Pages467
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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