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मा र ( २७२ )
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र दा life as an ascetic. In the end she took an ultimate vow of one month duration, 15 reviewed her life and did the ultimate Pratikraman. In due course she
breathed her last and reincarnated as a goddess in the Brahmalok. र सूत्र २२२ : तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। तत्थ णं दोवइस्स हा 15 देवस्स दस सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता।
र सूत्र २२२ : ब्रह्मलोक नाम के पाँचवें देवलोक में अनेक देवों की आयु दस सागरोपम की ही 15 बताई गई है। द्रौपदी देव की आयु भी दस सागरोपम की बताई है।
र 222. In Brhamlok, the fifth dimension of gods, the life-span of many gods 5 is said to be ten Sagaropam. The life span of god Draupadi is also said to be 5 ten Sagaropam.
सूत्र २२३ : से णं भन्ते ! दुवए देवे ताओ देवलोगाओ जाव महाविदेहे वासे जाव अंतं 5 15 काहिइ? र सूत्र २२३ : गौतम स्वामी ने जिज्ञासा की-'भन्ते ! वह द्रुपद देव वहाँ से च्यवन कर कहाँ जन्म 5 लेगा?" भगवानं ने उत्तर दिया-ब्रह्मलोक की आयु, स्थिति और भव का क्षय होने पर वह ट 15 महाविदेह क्षेत्र में जन्म लेकर कर्मों का अन्त करेगा।" र 223. Gautam Swami asked, “Bhante! Where will this Drupad god descend
after completing this life span?" Mahavir replied, “After completing the life
span, state, and form as a god in the Brahmalok this god will be born in the 15 Mahavideh area and end all karmas." 5 सूत्र २२४ : एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं सोलसमस्स णायज्झयणस्स र अयमढे पण्णत्ते त्ति बेमि। 5 सूत्र २२४ : हे जम्बू ! श्रमण भगवान महावीर ने सोलहवें ज्ञात अध्ययन का यह अर्थ बताया ट 5 है। मैंने जैसा सुना वैसा ही कहा है।" . र 224. Jambu! This is the text and the meaning of the sixteenth chapter of S the Jnata Sutra as told by Shraman Bhagavan Mahavir. So I have heard, so I 2 confirm.
॥ सोलसमं अज्झयणं समत्तं ॥
॥ सोलहवाँ अध्ययन समाप्त ॥ || END OF THE SIXTEENTH CHAPTER II
ROUNDA
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र (272)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA S
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