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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र डा सूत्र १३४ : नारद को आता देख के पाण्डु राजा पाँचों पाण्डवों तथा कुंती देवी सहित अपने ट 15 आसन से उठ कर खड़े हुए और नारद के समक्ष सात-आठ कदम आगे बढ़े। फिर अर्घ्य (पुष्पादि) डा
र पाद्य (सुगंधित जल चरण, प्रक्षालन के लिए) देकर बहुमूल्य आसन पर बैठने को आमन्त्रित किया। 5 134. When they saw Narad coming King Pandu, the five Pandavs, and ट
queen Kunti all got up form their seats and stepped seven or eight steps » forward. They gave Narad the traditional welcome by offering flowers and Rwashing his feet and offered him an exquisite seat.
सूत्र १३५ : तए णं से कच्छुल्लनारए उदगपरिफोसियाए दभोवरिपच्चत्थुयाए भिसियाए द र णिसीयइ, णिसीइत्ता पंडुरायं रज्जे जाव य रटे य अंतेउरे य कुसलोदंतं पुच्छइ। ___ तए णं से पंडुराया कोंति देवी पंच य पंडवा कच्छुल्लणारयं आढायंति जाव पज्जुवासंति।
सूत्र १३५ : कच्छुल्ल नारद ने जल छिड़क कर स्थान शुद्धि की और उस पर अपना दर्भ आसन टी 5 बिछाकर बैठ गये। राजा पाण्डु के राज्य, परिवार अन्तःपुर आदि की कुशलक्षेम पूछी। राजा पाण्डु ने ड र कुंती देवी तथा पाँचों पाण्डवों सहित खड़े होकर नारद का आदर सत्कार किया और पूजा की। ____135. Kacchull Narad sprinkled water on the ground for purification, ड spread his grass mattress and sat down. He asked about well being of King Si Pandu, his family, his palace, and his state. King Pandu, queen Kunti and S the five Pandavs stood up to greet him with due honour and worshipped him. अमरकंका से क्षुब्ध नारद
सूत्र १३६ : तए णं सा दोवई देवी कच्छुल्लनारयं अस्संजयं अविरय-ट 5 अप्पडिहय-अपच्चक्खायपाव-कम्मे त्ति कटु नो अग्घेण पज्जेण य आढाइ, नो परियाणइ, नो डा B अब्भुट्टेइ, नो पज्जुवासइ। 12 सूत्र १३६ : किन्तु द्रौपदी देवी ने नारद को असंयमी, अविरत तथा स्वकृत कृत्यों की
र आलोचना और पापों का प्रत्याख्यान न करने वाला जानकर न तो उनका आदर किया और न ] 15 अनुमोदना की, वह न तो उनके आने पर खड़ी हुई और न पूजा की। B INSULT IRKS NARAD
___136. But considering him to be indisciplined, attached, and one who did दा > not engage in self-criticism or atonement for his deeds, Draupadi neither did Ç
approve of him nor did she respect him. She neither stood up when he B arrived nor did she worship him. 5 सूत्र १३७ : तए णं तस्स कच्छुल्लणारयस्स इमेयारूवे अज्झथिए चिन्तिए पत्थिए मणोगए र संकप्पे समुप्पज्जित्था-'अहो णं दोवई देवी रूवेणं जाव लावण्णेण य पंचहिं पंडवेहिं अवथद्धा
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