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सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
( १८१ ) one species to another in the animal kingdom and then was reborn millions of times as tough and gross earth-bodied living organisms.
सुकुमालिका का कथानक
सूत्र ३१ : सा णं तओऽणंतरं उव्वट्टित्ता इहेव जंबुद्दीवे दीवे, भारहे वासे, चंपाए नयरीए,ट र सागरदत्तस्स सत्थवाहस्स भद्दाए भारियाए कुच्छिंसि दारियत्ताए पच्चायाया। तए णं सा भद्दाडा 15 सत्थवाही णवण्हं मासाणं दारियं पयाया। सुकुमालकोमलियं गयतालुयसमाणं। र तीसे दारियाए निव्वत्ते बारसाहियाए अम्मापियरो इमं एयारूवं गोन्नं गुणनिष्फन्नं नामधेज्जंटा 5 करेंति-'जम्हा णं अम्हं एसा दारिया सुकुमाला गयतालुयसमाणा तं होउ णं अम्हं इमीसे 5 15 दारियाए नामधेज्जं सुकुमालिया।' र तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो नामधेज्जं करेंति सुकुमालिय त्ति। र सूत्र ३१ : नागश्री का जीव इस प्रकार संसार-भ्रमण के बाद जम्बूद्वीप के भारतवर्ष में दो र चम्पानगरी में सार्थवाह सागरदत्त की भार्या भद्रा की कोख में बालिका के रूप में अवतरित हुई। नौ दा 5 माह पूर्ण होने पर भद्रा ने बालिका को जन्म दिया। वह बालिका हाथी के तालु के समान सुकुमार र और कोमल थी। 5 जन्म से बारह दिन बीतने पर माता-पिता ने उसका गुणानुरूप नाम रखा-“हमारी यह बालिका र हाथी के तालु के समान अत्यन्त कोमल है अतः इसका नाम हम सुकुमालिका रखते हैं।"
STORY OF SUKUMALIKA 5 31. After all this wandering through various life forms this being s 5 descended into the womb of Bhadra, the wife of merchant Sagardatt in S Champa city in Bharatvarsh in the Jambu continent. After nine months
Bhadra gave birth to a girl who was as delicate and tender as the palate of P an elephant. 5 Twelve days after the birth the parents gave her a name suiting her s 15 physique, “As this daughter of ours is as delicate and tender as the palate of S 15 an elephant we name her as Sukumalika (delicate)." र सूत्र ३२ : तए णं सा सुकुमालिया दारिया पंचधाईपरिग्गहिया, तंजहा-खीरधाईएड 5 मज्जणधाइए मंडणधाईए, अंकधाईए, कीलावणधाईए, जाव परिवड्ढइ। तए णं सा सूमालिया । रेदारिया उम्मुक्कबालभावा जाव रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्ठसरीरा जाया टी
र यावि होत्था। 15 सूत्र ३२. सुकुमालिका के पालन-पोषण का दायित्व पाँच धायों ने संभाला-(१) क्षीर धात्री, टे र (२) मज्जन धात्री, (३) मंडन धात्री, (४) क्रीडा धात्री, और (५) अंक धात्री। इन पाँच धायों की ट R CHAPTER-16 : AMARKANKA
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