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र सोलहवाँ अध्ययन : अमरकंका
(१७३ ) टा र सूत्र १५ : तए णं तस्स धम्मरुइस्स तं सालइयं जाव नेहावगाढं आहारियस्स समाणस्स 5 मुहुत्तंतरेणं परिणममाणंसि सरीरगंसि वेयणा पाउब्भूया उज्जला जाव दुरहियासा। र सूत्र १५ : तुवे का वह साग खाते ही धर्मरुचि के शरीर में मुहूर्त भर में ही उसका प्रभाव ड 5 व्याप्त हो गया। उनके शरीर में उत्कट और दुस्सह वेदना उत्पन्न हो गई। R 15. Within moments of consuming, the toxic effect of the curry spread
throughout his body. He started suffering intolerable agony. 5 सूत्र १६ : तए णं धम्मरुई अणगारे अथामे अबले अवीरिए अपुरिसक्कार-परक्कमे डा र अधारणिज्जमिति कट्ट आयारभंडगं एगते ठवेइ, ठवित्ता थंडिल्लं पडिलेहइ, पडिलेहित्ता 5 दब्भसंथारगं संथारेइ संथारित्ता दब्भसंथारगं दुरूहइ दुरूहित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने ड र करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं वयासीर नमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं धम्मघोसाणं थेराणं मम धम्मायरियाणंड र धम्मोवएसगाणं, पुव् िपि णं मए धम्मघोसाणं थेराणं अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए 15 जावज्जीवाए जाव परिग्गहे, इयाणिं पि णं अहं तेसिं चेव भगवंताणं अंतिए सव्वं पाणाइवायं डा
र पच्चक्खामि जाव परिग्गहं पच्चक्खामि जावजीवाए, जहा खंदओ जाव चरिमेहिं उस्सासेहिं था 15 वोसिरामि त्ति कटु आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालगए।
र सूत्र १६ : क्रमशः धर्मरुचि अनगार अस्थिर, बलहीन, वीर्यरहित (उठने बैठने की शक्ति डी 5 रहित), पौरुषहीन तथा पराक्रमहीन हो गए। अब यह शरीर धारण नहीं किया जा सकता-यह ट 5 जानकर उन्होंने अपने आहार के पात्र एक ओर रख दिए। फिर बैठने के स्थान को साफ कर घास र का आसन बिछाया और उस पर पूर्वाभिमुख होकर पर्यंकासन में बैठ गए। दोनों हाथ जोड़ मस्तक 5 के निकट घुमा अंजलिबद्ध कर बोले-- र “अरिहंतो एवं सिद्धों आदि को मेरा नमस्कार हो। मेरे धर्माचार्य और धर्मोपदेशक धर्मघोष । 5 स्थविर को नमस्कार हो। मैंने पहले भी धर्मघोष स्थविर के पास प्राणातिपात विरमण आदि पाँच 5 महाव्रत धारण किये थे। इस समय भी उन्हीं भगवंतों की साक्षी में मैं पुनः वे ही व्रत धारण करता र हूँ। साथ ही शेष जीवन पर्यन्त अर्थात् अन्तिम सांस तक अपने इस शरीर का भी परित्याग करता 5 हूँ।" इस प्रकार उच्चारण कर उन्होंने आलोचना और प्रतिक्रमण कर समाधि मृत्यु का वरण कर 5 लिया।
16. Slowly Ascetic Dharmaruchi became infirm, weak, feeble, wasted and emaciated. Realizing that the end was near he placed his begging bowls on 2
one side. He wiped the ground clean, spread his grass-mattress and sat down 5 in the Paryankasan (a yogic posture). Joining his palms and raising them to 5
his forehead he uttered
5 CHAPTER-16 : AMARKANKA
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