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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र हा 15 -'हे देवानुप्रियो ! नन्द मणिकार के शरीर में सोलह रोग-आतंक एवं उनकी पीड़ा उत्पन्न हुए डी 12 हैं। जो कोई वैद्य या वैद्य पुत्र आदि (पूर्वसम, सूत्र १७ के समान) उन सोलह रोग-आतंक में से भी र एक का भी शमन कर देगा नन्द मणिकार उसे विपुल धन-सम्पत्ति प्रदान करेगा।' यह घोषणा ट 5 अनेक बार करो, और वापस लौटकर मुझे सूचना दो।" सेवकों ने इस आज्ञा का पालन कर उसे ड र सूचना दी। 2 AILMENT OF NAND 5 21. After some time Nand Manikaar came down with sixteen different
ailments. They were (1) asthma, (2) bronchitis, (3) fever, (4) burning
sensation, (5) infection in armpits, (6) fistula of the anus, (7) bleeding piles, ? (8) indigestion, (9) Glaucoma, (10) headache, (11) lack of appetite, (12) pain in the eyes, (13) pain in the ears, (14) eczema, (15) dropsy, and (16) leprosy.
When he suffered from these ailments he called his servants and 15 instructed, “Beloved of gods! Go and make this announcement at every
corner, road, etc. in the city R O Beloved of gods! Nand Manikaar is suffering from the pain of sixteen
different ailments. Any Vaidya, (etc. as detailed in para 17) who is able to
cure even one of these diseases will be amply and richly rewarded by him.' 2 Make this announcement many times and report back to me.” The B servants did as told and reported back. 5 सूत्र २२ : तए णं रायगिहे णयरे इमेयारूवं घोसणं सोच्चा णिसम्म बहवे वेज्जा यह र वेज्जपुत्ता य जाव कुसलपुत्ता य सत्थकोसहत्थगया य सिलियाहत्थगया य गुलियाहत्थगया य ८ 15 ओसह-भेसज्जहत्थगया य सएहिं सएहिं गेहेहितो निक्खमंति, निक्खमित्ता रायगिहं मझमज्झेणं र जेणेव णंदस्स मणियारसेहिस्स गिहे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता णंदस्स मणियारसेडिस्स B सरीरं पासंति, तेसिं रोगायंकाणं नियाणं पुच्छंति, णंदस्स मणियारसेहिस्स बहूहिं उव्वलणेहि य द 15 उव्वट्टणेहि य सिणेहपाणेहि य वमणेहि य विरेयणेहि य सेयणेहि य अवदहणेहि य अवण्हाणेहि ड र व अणुवासणेहि य वत्थिकम्मेहि य निरूहेहि य सिरावेहेहि य तच्छणाहि य पच्छणाहि यट 5 सिरावेढेहि य तप्पणाहि य पुढट वाएहि य छल्लीहि य वल्लीहि य मूलेहि य कंदेहि य पत्तेहि य ड र पुप्फेहि य फलेहि य बीएहि य सिलियाहि य गुलियाहि य ओसहेहि य भेसज्जेहि य इच्छंति तेसिंह र सोलसण्हं रोगायंकाणं एगमवि रोगायंकं उवसमित्तए। नो चेव णं संचाएंति उवसामेत्तए। र सूत्र २२ : यह घोषणा सुन-समझकर राजगृह नगर के अनेक चिकित्सक (वैद्यादि-सू. १७ के 5 र समान) अपने साथ उपकरणों की पेटी, धार देने की शिला, औषधि की गोलियाँ, औषधियाँ और टा 15 भेषज आदि अपने साथ ले अपने घरों से निकले। नगर के बीच होते हुए वे नन्द के घर आए। ड E (98)
JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA FAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAnnnnnnn
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