________________
(६६)
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
Ong
DIR
सूत्र ६२. राजा श्रेणिक फिर बाहरी सभा भवन में आये और यथाविधि सिंहासन ग्रहण किया। फिर उन्होंने सैंकड़ों, हजारों, लाखों मुद्राओं का अनुष्ठानपूर्वक दान दिया। इस शुभ अवसर पर राजा को भेंट किये द्रव्यों व उपहारों को स्वीकार किया।
62. King Shrenik then arrived in the outer assembly hall and seated himself on the throne. He ceremoniously gave donations of hundreds and thousands and millions of gold coins. He also accepted presents and gifts on this happy occasion. जन्म-संस्कार कर्म
सूत्र ६३. तए णं तस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे जातकम्मं करेन्ति, करित्ता बितियदिवसे जागरियं करेन्ति, करित्ता ततियदिवसे चंदसूरदंसणियं करेन्ति, करित्ता एवामेव निव्वत्ते असुइजातकम्मकरणे संपत्ते बारसाहदिवसे विपुलं असणं पाणं खाइमंसाइमं उवक्खडावेन्ति, उवक्खडावित्ता मित्त-णाइणियग-सयण-संबंधि-परिजणं बलं च बहवे गणणायग-दंडणायग जाव आमंतेति।
सूत्र ६३. उसके बाद माता-पिता ने पहले दिन शिशु का जातकर्म किया। दूसरे दिन रात्रि जागरण किया गया। तीसरे दिन शिशु को सूर्य-चन्द्र के दर्शन कराये गये। इस प्रकार विभिन्न अनुष्ठानों में ग्यारह दिन बीत गये। बारहवें दिन प्रचुर मात्रा में अशन, पान, खादिम तथा स्वादिष्ट वस्तुएँ तैयार कराई गईं। मित्र, स्वजातीय, निकट, स्वजन, सम्बन्धी, परिजन, सेना, सामन्त, राजा, गणनायक, दण्डनायक आदि को निमन्त्रण दिया गया।
RITUAL BIRTH-CEREMONIES ___63. On the first day of the celebrations the parents performed ritual ceremonies connected with the birth of a son. The second night was spent in chanting and singing devotional songs. On the third day they performed the ritual adorational beholding of the Sun and the moon. By the time all these ritual ceremonies were concluded, eleven days passed. On the twelfth day arrangements were made for a great feast and delicious and savory dishes were prepared. The king invited all his family members, relatives, friends, kin folk, ministers and other state and army officials.
सूत्र ६४. तओ पच्छा ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउयमंगलपायच्छित्ता सव्वालंकारविभूसिया महइमहालयंसि भोयणमंडवंसि तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं मित्त-णाइ
ago
(66)
JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SUTRA
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org