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प्रथम अध्ययन : उत्क्षिप्त ज्ञात
( ३७ )
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वरपायपत्त-णेउर-मणिमेहल-हार-रइय-उचिय-कडग-खुड्डय-विचित्तवरवलयर्थभियभयाओ, कुंडलउज्जोयियाणणाओ, रयणभूसियंगाओ, नासानीसासवायवोज्झं चक्खुहरं वण्णफरिससंजुत्तं हयलाला-पेलवाइरेयं धवलकणयखचियन्तकम्मं आगासफलिहसरिसप्प अंसुअं पवरपरिहियाओ, दुगुल्ल-सुकुमालउत्तरिज़्जाओ, सव्वोउयसुरभिकुसुम-पवरमल्लसोभितसिराओ, कालागरु-धूवधूवियाओ, सिरिस-माणवेसाओ, सेयणगगंधहत्थिरयणं दुरूढाओ समाणीओ, सकोरिंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चंदप्पभ-वइर-वेरुलियविमलदंडसंख-कुंद-दगरय-अमयमहिय-फेणपुंजसंनिगा-सचउचामर-वालवीजियंगीओ, सेणिए णं रन्ना सद्धिं हत्थिखंध-वरगए णं, पिट्ठओ समणुगच्छमाणीओ चउरंगिणीए सेणाए, महया हयाणीए णं, गयाणीए णं रहाणीए णं, पायत्ताणीए णं, सव्विड्ढीए सव्वज्जुईए जाव निघोसणादियरवेणं रायगिहं नगरं सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चरचउम्मुह-महापह-पहेसु आसित्तसित्तसुचिय-संमज्जिओवलित्तं जाव पंचवण्ण-सरससुरभिमुक्क-पुष्फपुजोवयारकलियं कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-धूव-डझंत-सुरभिमघमघंत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं अवलोएमाणीओ, नागरजणेणं अभिणंदिज्जमाणीओ, गुच्छ-लया-रुक्ख-गुम्म-वल्लि-गुच्छ-ओच्छाइयं सुरम्मं वेभारगिरिकडगपायमूलं सव्वओ समंता आलोएमाणीओ आलोएमाणीओ आहिँडेमाणीओ आहिँडेमाणीओ दोहलं विणियंति। तं जइ णं अहमवि मेहेसु अब्भुवगएसु जाव दोहलं विणिज्जामि।
सूत्र ३१. धारिणी देवी के मन में विचार उठे-“वे माताएँ धन्य हैं, पुण्यवती हैं, कृतार्थ हैं; उन्होंने पूर्व जन्म में पुण्य कर्म सँजोया है; उनके शुभ लक्षण फलित हैं, वैभव सफल है, मनुष्य-जीवन सफल है जो अपने मन में उठे अकाल-मेघ का दोहद पूर्ण कर पाती हैं। आकाश में उत्पन्न ऊँचे, गहराते, फैलते, गरजते, छोटी-छोटी बूंदों से भरे, चमकती बिजली से भरे और बरसने को उद्यत मेंघों में विचरण कर अपना दोहद पूर्ण करती माताएँ धन्य हैं। ___ “आग में तपाकर शुद्ध किये चाँदी के पतरे, अंक-मणि, शंख, चन्द्रमा, कुन्द फूल और चावल के आटे के जैसे सफेद;
“चिकुर, हरताल के टुकड़े, चम्पा के फूल, सन के फूल, कोरंट के फूल, सरसों के फूल और कमल-केसर के जैसे पीले; ___ “लाख, गहरे लाल पलाश के फूल, जवाकुसुम, मधुरी फूल, श्रेष्ठ हींगलू, घोली हुई कुंकुम, मेंढे और खरगोश के खून तथा बीर-बहूटी जैसे लाल; ___“मोर, नीलम, नीली गोली, तोते और नीलकंठ के पंख, भँवरे के पंख, सासक के पेड़, नील कमल के झुण्ड, शिरीष के नए पौधे के फूल और नई घास के जैसे नीले;
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CHAPTER-1: UTKSHIPTA JNATA
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