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ज्ञाताधर्मकथांग
(२८)
NARSAATMAS
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Adorned thus, King Shrenik came out of the bathroom and joined the attending luminaries including numerous chieftains, administrators, princes, knights of honour, landlords, village-heads, ministers, chief ministers, astrologers, guards, secretaries, personal servants, senior citizens, businessmen, merchants, commanders, caravan chiefs, ambassadors, diplomats, etc. It appeared as if coming out of the cover of dark clouds, the moon was perched in the midst of stars and planets with all its grandeur and beauty. The king then came to the outer assembly hall and sat down on the throne facing the east.
स्वप्न-पाठक
सूत्र २0. तए णं से सेणिए राया अप्पणो अदूरसामंते उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे अट्ठ भद्दासणाई सेयवत्थपच्चुत्थुयाइं सिद्धत्थमंगलोवयारकयसंतिकम्माइं रयावेइ। रयावित्ता णाणामणिरयणमंडियं अहियपेच्छणिज्जवं महग्धवरपट्टणुग्गयं सहबहुभत्तिसयचित्तट्ठाणं ईहामिय-उसभ-तुरय-णर-मगर-विहग-वालग-किन्नर-रुरु-सरभ-चमर-कुंजर-वणलयपउमलय-भत्तिचित्तं सुखचियवरकणगपवर-पेरंत-देसभागं अभितरियं जवणियं अंछावेइ, अंछावेत्ता अच्छरग-मउअमसूरग-उत्थइयं धवलवत्थ-पच्चत्थुयं विसिटुं अंगसुहफासयं सुमउयं धारिणीए देवीए भद्दासणं रयावेइ। रयावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ। सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अटुंगमहानिमित्तसुत्तत्थपाढए विविहसत्थ-कुसले सुविणपाढए सद्दावेह, सहावेत्ता एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह। ___ सूत्र २0. राजा श्रेणिक ने अपने निकट ईशानकोण की ओर उचित स्थान पर आठ भद्रासन लगवाए जो सफेद वस्त्र से ढंके थे तथा उन पर मांगलिक उपचार हेतु सफेद सरसों के दाने रखे गये थे। बैठक के भीतर उपयुक्त स्थान पर मणिरत्नों से शोभित एक बहुमूल्य, उत्तम और दर्शनीय पर्दा लगवाया। किसी प्रसिद्ध नगर में बने मुलायम कपड़े से तैयार किये इस पर्दे (यवनिका) पर ईहामृग (भेड़िया), वृषभ, अश्व, मकर, पक्षी, किन्नर, चमरी गाय, हाथी, पद्मलता आदि के सुन्दर चित्र बने थे और सोने की ज़री का काम किया हुआ था। इस पर्दे के पीछे धारिणी देवी के लिए एक सुन्दर, कोमल सफेद वस्त्र (खोल-कवर) से ढका शरीर के लिए सुखद स्पर्श वाला भद्रासन लगवाया। फिर राजा ने सेवकों (कौटुम्बिक) को बुलाया और कहा-“हे देवानप्रियो ! शीघ्र ही अष्टांग महानिमित्त के सूत्र व अर्थ के पारंगत, विविध शास्त्रों के ज्ञाता और स्वप्न-फल समझने-बताने वालों (पंडितों) को बुलाकर लाओ।
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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