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मल्लिस्स णं अरहओ छस्सया चोद्दसपुव्वीणं, वीससया ओहिनाणीणं, बत्तीसं सया केवलणाणीणं, पणतीसं सया वेउव्वियाणं, अट्ठसया मणपज्जवणाणीणं, चोइससया वाईणं, वीसं सया अणुत्तरोववाइयाणं ।
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
सूत्र १७४ . अर्हत् मल्ली के भिषक अथवा किंशुक् आदि अट्ठाईस गण और गणधर थे। उनके शिष्यों की उत्कृष्ट संपदा में चालीस हजार साधु, बंधुमती आदि पचपन हजार साध्वियाँ, एक लाख चौरासी हजार श्रावक और तीन लाख पैंसठ हजार श्राविकाएँ थीं।
उनके शिष्यों में छह सौ चौदह पूर्वधारी श्रमण, दो हजार अवधिज्ञानी, बत्तीस सौ केवलज्ञानी, पैंतीस सौ वैक्रियलब्धिधारी, आठ सौ मनः पर्यवज्ञानी, चौदह सौ वादी, और दो हजार अनुत्तरौपपातिक श्रमण थे।
OR
DETAILS OF THE ORGANIZATION
174. Arhat Malli had twenty eight groups of followers and twenty eight chief disciples lead by Bhishak (or Kinshuk). The maximum number of his disciples included forty thousand male ascetics; fifty five thousand female ascetics lead by Bandhumati, one hundred eighty four thousand Shravaks and three hundred sixty five thousand Shravikas.
Among her disciples were six hundred all knowing ascetics (termed as Fourteen Purvadhar), two thousand Avadhijnani, three thousand two hundred omniscients, three thousand five hundred Vaikriya Labdhi Dharak (occult power), eight hundred ascetics with ultimate para-psychological knowledge (Manah-paryava Jnani), fourteen hundred logicians, and two thousand Anutaropapatik ascetics (destined to become gods and later to be liberated).
सूत्र १७५. मल्लिस्स अरहओ दुविहा अंतगडभूमी होत्था । तं जहा - जुगंतकरभूमी, परियायंतकरभूमी य। जाव वीसइमाओ पुरिसजुगाओ जुयंतकरभूमी, दुवासपरियाए अंतमकासी ।
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सूत्र १७५. अर्हत् मल्ली की दो अन्तकृत भूमि थीं। उनकी युगान्तकृत् भूमि उनके बाद बीस पट्टधारियों तक चली। उनकी पर्यायान्तकृत भूमि उनके केवलज्ञान के दो वर्ष बाद आरंभ हुई।
175. Arhat Malli had two Antakrit Bhumis ( specific periods of time connected with the ending of the cycle of rebirth or liberation). Her
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