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________________ (३९०) ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र Smso Gro AADMAVA RAO UTTER प - सूत्र १२३. यह देख मल्लीकुमारी ने कहा-“हे तात ! आप तो मुझे आती देख स्वागत करते थे, प्रफुल्ल हो गोद में बिठाते थे किन्तु आज ऐसा क्या हुआ कि आप हारे हुए मानसिक संकल्प से प्रभावित हो चिन्तामग्न बैठे हैं ?" कुम्भराज ने उत्तर दिया-“हे पुत्री ! तुमसे विवाह हेतु जितशत्रु आदि छह राजाओं ने अपने दूत भेजे थे। मैंने उन दूतों को अपमानित करके यहाँ से निकाल दिया। अपने दूतों से यह सब जान वे राजा लोग क्रुद्ध हो गए और मिथिला नगरी को घेर लिया है। मैं उनकी सैन्य सज्जा के छिद्रादि को न जान सकने के कारण चिन्तित हूँ।" MALLI'S PLAN ____123. Princess Malli observed this and said, "Father ! When you saw me coming you used to greet me and with joy made me sit in your lap. What is wrong with you today? You appear to be dejected and worried.” ____King Kumbh replied, “Daughter ! King Jitshatru and five other kings had sent proposals for marriage with you. I rejected the proposals and turned their emissaries out. This made these kings furious and they have surrounded Mithila. I am worried because I have not been able to formulate a counter move to defeat them. सूत्र १२४. तए णं सा मल्ली विदेहरायवरकन्ना कुंभयं रायं एवं वयासी-“मा णं तुब्भे ताओ ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियायह, तुब्भे णं ताओ ! तेसिं जियसत्तुपामोक्खाणं छण्हं राईणं पत्तेयं पत्तेयं रहसियं दूयसंपेसे करेह, एगमेगं एवं वयह-“तव देमि मल्लिं विदेहरायवरकन्नं, ति कटु संझाकाल-समयंसि पविरलमणूसंसि निसंतंसि पडिनिसंतंसि पत्तेयं पत्तेयं मिहिलं रायहाणिं अणुप्पवेसेह। अणुप्पवेसित्ता गब्भघरएसु अणुप्पवेसेह, मिहिलाए रायहाणीए दुवाराई पिधेह, पिधित्ता रोहसज्जे चिट्ठह। तए णं कुंभए राया एवं तं चेव जाव पवेसेइ, रोहसज्जे चिट्टइ। सूत्र १२४. यह सुनकर मल्लीकुमारी ने समाधान प्रस्तुत किया-"तात ! आप उदास व चिन्तित न हों। आप उन छहों राजाओं के पास गुप्त रूप से अलग-अलग दूत भेजकर प्रत्येक को कहला दीजिए कि मैं मल्लीकुमारी का कन्यादान तुम्हें करूँगा। इस संदेश के साथ ही उन्हें अलग-अलग, संध्या के समय जब रास्ते सुनसान रहते हैं, मिथिला नगरी में बुलाइये। उन्हें वैसे ही अलग-अलग मोहन-गृह के छह गर्भगृहों में ठहरा दीजिये। यह सब हो जाने पर नगर द्वार बन्द करवाकर नगर रक्षा के लिये तत्पर रहिये।" राजाकुंभ ने मल्लीकुमारी के सुझाव के अनुसार सब काम किया। Os क 40006 HIRAA (390) JNĀTĀ DHARMA KATHĀNGA SŪTRA Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007650
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Surendra Bothra, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1996
Total Pages492
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_gyatadharmkatha
File Size13 MB
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