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आठवाँ अध्ययन : मल्ली
कहा- "
सूत्र ११८. उधर कुम्भ राजा ने यह सूचना मिलने पर अपने सेनापति को बुलाकर - "देवानुप्रिय ! शीघ्र ही अश्वादि से युक्त चतुरंगिनी सेना सजाओ ।" सेनापति ने समस्त तैयारी कर राजा को सूचना दी।
118. When King Kumbh got this news he called his commander-inchief and said, "Beloved of gods! Get our four pronged army ready to march." The general took necessary steps and informed the king.
सूत्र ११९. तए णं कुंभए राया हाए सण्णद्धे हत्थिखंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहिं मिहिलं रायहाणिं मज्झमज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छत्ता विदेहं जणवयं मज्झमज्झेणं जेणेव देसअंते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंधावार-निवेस करेइ, करित्ता जियसत्तुपामोक्खा छप्पि य रायाणो पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे पडिचिट्ठ |
( ३८७ )
सूत्र ११९. राजा कुम्भ तब स्नानादि से निवृत्त हो युद्ध के लिये तैयार हुए और छत्र-चामरादि सहित हाथी पर सवार हो गये। फिर अपनी सुसज्जित सेना सहित मिथिला नगरी के बीच से होते हुए विदेह जनपद की सीमा पर आये । वहाँ पड़ाव डालकर जितशत्रु आदि छह राजाओं की प्रतीक्षा में युद्ध के लिये सन्नद्ध हो रुके रहे।
119. King Kumbh got ready with armour and weapons and riding an elephant he came out of the town and joined his army. With his army he marched to the borders of Videh. He camped his army there and waited for Jitshatru and other kings, ready at battle stations. कुम्भ की पराजय
सूत्र १२०. तए णं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पिय रायाणो जेणेव कुंभए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता कुंभएणं रण्णा सद्धिं संपलग्गा यावि होत्था ।
तणं ते जियसत्तुपामोक्खा छप्पि रायाणो कुंभयं रायं हय- महिय-पवरवीरघाइयनिवडिय - चिंधद्धय-प्पडागं- किच्छप्पाणोवगयं दिसो दिसिं पडिसेहिंति ।
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तणं से कुंभ राया जियसत्तुपामोक्खेहिं छहिं राईहिं हय-महिय जाव पडिसेहिए समाणे अत्थामे अबले अवीरिए जाव अधारणिज्जमिति कट्टु सिग्घं तुरियं जाव वेइयं जेणेव मिहिला णयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मिहिलं अणुपविसइ, अणुविसित्ता मिहिलाए दुवारा पिइ, पिहित्ता रोहसज्जे चिट्ठ |
सूत्र १२०. कुछ समय बाद जितशत्रु आदि राजा वहाँ पहुँचे और युद्ध आरम्भ हो गया ।
CHAPTER 8 : MALLI
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