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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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चित्र परिचय THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
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दिव्य कुण्डल युगल की भेंट
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चित्र : २४
देव के उपहार रूप में प्राप्त कुण्डल युगल लेकर अर्हन्नक आदि समुद्र व्यापारी मिथिला के तट पर पहुंचे। वहाँ के राजा कुम्भ को भेंट देने के लिए स्वर्ण थाल में वे दिव्य कुण्डल सजाकर लाये। ऐसे दिव्य कुण्डल देखकर राजा कुम्भ बहुत प्रसन्न हुए। व्यापारियों को सम्मानित किया।
महाराज कुम्भ की पुत्री थी मल्लीकुमारी। संसार की अद्भुत रूप-लावण्यवती और अनन्त पुण्यशालिनी। मल्लीकुमारी का वर्ण पन्ना-रत्न जैसी हरी छवि युक्त था। महाराज कुम्भ ने वे दिव्य कुण्डल युगल राजकुमारी मल्ली को पहनाये तो जैसे कुण्डलों से राजकुमारी का और राजकुमारी की दिव्य छवि से कुण्डलों का सौन्दर्य सौ गुना निखर गया। महाराज कुम्भ के पास ही राजसिंहासन पर विराजित है मल्लीकुमारी।
(अध्ययन ८)
PRESENTING THE DIVINE EARRINGS
ILLUSTRATION : 24
Taking the divine earrings Arhannak and his friends came to Mithila city. They took a gold plate, placed the divine earrings in it, and came to the court of King Kumbh. They greeted him and presented the earrings to him. King Kumbh was pleased. He felicitated the merchants. Princess Malli, the daughter of King Kumbh, was a divine beauty and a pious person. She had an emerald green complexion. The king gave the divine earrings to his daughter. When she put on these earrings her beauty was enhanced hundred fold, and the same happened to the divine beauty of the earrings. Princess Malli is occupying the throne adjacent to King Kumbh.
(CHAPTER-8)
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JNĀTĀ DHARMA KATHANGA SŪTRA
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