________________
JARAT
ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
चित्र परिचय
THE ILLUSTRATIONS EXPLAINED
ONC
साथ निभाने का संकल्प
चित्र : २२
संपर्वत के पश्चिम में बसी महाविदेह क्षेत्र में सलिलावती विजय थी। उसकी राजधानी थीवीतशोका नगरी ।
बीतशोका नगरी के बल राजा का पुत्र महाबल । उसके बाल साथी छह अन्तरंग मित्र थे१. अचल, २. धरण, ३. पूरण, ४. वसु, ५ वैश्रमण और ६. अभिचन्द । राजकुमार महाबल और उनके छहों मित्रों ने एक दिन एक दूसरे को वचन दिया- हम बचपन के साथी हैं, सुख-दुःख में सदा साथ निभाया है और जीवनभर हम एक दूसरे का साथ निभायेंगे । चाहे संसार में रहें या संसार त्यागें। कर्म और धर्म दोनों ही कार्यों में हम एक दूसरे को पूछकर परस्पर की सहमति से साथ देंगे।
आगे चलकर महाबल के साथ छहों मित्रों ने दीक्षा ली। घोर तप किया । किन्तु तपश्चरण में महावल मुनि मित्रों से गुप्त रखकर अधिक तप करते रहे। मित्रों से माया ( कपट) करने के कारण उन्होंने स्त्री गोत्र का बंधन कर लिया। फिर २० बोलों की उत्कृष्ट आराधना के फल स्वरूप महावल मुनि तीर्थंकर गोत्र उपार्जित कर अगले भव में भगवान मल्लिनाथ बने ।
( अध्ययन ८ )
Jain Education International
ILLUSTRATION : 22
Veetshoka city was the capital of Salilavati Vijaya, situated on the western side of the mountain Meru in the Mahavideh area. The name of the ruler of that city was Bal. He had a son named Mahabal. Mahabal had six childhood friends – Achal, Dharan, Puran, Vasu, Vaishraman, and Abhichandra. They all did everything with mutual consent. They also resolved that they would even do spiritual practices together. Later all the seven friends became ascetics and did vigorous penance. However, Mahabal secretly did more penances to be ahead of his friends. As a result of this deceit he earned the karma that would lead to a birth as a female in some future birth. With the help of the Bees Sthanak practice Mahabal also earned the Tirthankar Gotra and became Arhat Malli.
(CHAPTER-8)
THE RESOLVE TO GIVE COMPANY
JNATA DHARMA KATHANGA SUTRA
For Private & Personal Use Only
Ormo
www.jainelibrary.org