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सातवाँ अध्ययन : रोहिणी ज्ञात: आमुख
शीर्षक- रोहिणीणाए - रोहिणी ज्ञात अर्थात संवर्धन करने वाली या बढ़ाने वाली की कथा । आत्मा का लक्ष्य है विकास पथ पर निरन्तर बढ़ते रहना और यह प्रयत्न से होता है। प्रयत्न करने की प्रवृत्ति के अभाव में हास होता है। इस कथा में धन सार्थवाह की चार पुत्र-वधुओं के उदाहरण से विवेकपूर्ण अध्यवसाय के महत्त्व को दर्शाया गया है।
कथासार - राजगृह नगर में धन सार्थवाह रहता था । उसकी चार पुत्र-वधुओं का नाम क्रमशः उज्झिका, भोगवती, रक्षिका तथा रोहिणी था। एक बार धन सेठ चिन्ता हुई कि उसके बाद उसके घर-परिवार की सुचारु व्यवस्था का उत्तरदायित्व कौन ले सकेगा? उसने अपनी पुत्र-वधुओं की योग्यता परीक्षा लेने की योजना बनाई। अपने सगे-सम्बन्धियों को आमन्त्रण दे उनके सामने उसने प्रत्येक बहू को पाँच-पाँच दाने चावल के दिये और कहा कि इन्हें सँभालकर मंजूषा में रखना। जब भी वह उन दानों को माँगे तो वापस देने होंगे।
उज्झका दाने लेकर भीतर गई और यह सोचकर कि भण्डार में ढेरों चावल पड़ा रहता है जब ससुर जी माँगेंगे, पाँच दाने उठाकर दे दूँगी, उसने वे पाँचों दाने फेंक दिये। ठीक यही विचार भोगवती के मन में उठे। पर उसने वे दाने फेंकने की जगह मुँह में रखे और निगल गई। रक्षिका ने सोचा कि ससुर जी की बात में अवश्य कोई रहस्य है जो समझ में नहीं आ रहा है। अतः ये दाने सँभालकर रखने चाहिए और उसने वे दाने सहेज- सँभालकर रख दिये ।
चौथी बहू रोहिणी ने सोचा कि अवश्य ससुर जी ने किसी विशेष उद्देश्य से ये पाँच दाने दिये हैंफिर भी पड़े-पड़े क्या होगा। इनका संवर्धन करना चाहिए और उसने अपने पीहर वालों को बुलाकर वे दाने दिये और कहा कि उन्हें खेत में अलग से बोने का प्रबन्ध करें। जब तक वह उन दानों को वापस न माँगे वे उन दानों से उपजी फसल को पुनः पुनः बोते रहें और धान बढ़ाते रहें।
पाँच वर्ष बीत जाने पर धन सार्थवाह ने पुनः अपने सम्बन्धियों को बुलाया और उनके सामने चारों बहुओं से दाने वापस माँगे। पहली बहू के यह बताने पर कि उसने दाने फेंक दिये हैं सेठ ने उसे घर की सफाई आदि के काम पर नियुक्त कर दिया। दूसरी, जिसने दाने खा लिये थे, को रसोई आदि की व्यवस्था पर लगा दिया और तीसरी, जिसने दाने सँभालकर रखे थे, उसे घर भण्डार की सुरक्षा का उत्तरदायित्व सौंप दिया।
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चौथी बहू से जब दाने माँगे तो उसने कहा कि दाने वापस करने के लिए उसे गाड़ियों की आवश्यकता पड़ेगी तो सेठ आश्चर्यचकित हो गया। उसके पूछने पर रोहिणी ने सारी बात बताई। सेठ ने प्रसन्न हो उसे घर का मुखिया बना दिया ।
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