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ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र
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acute and intolerable. He suffered from bile fever that causes eczema and itching in the whole body. Ascetic Shailak became anaemic due to this disease.
सूत्र ५५. तए णं से सेलए अन्नया कयाइं पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे जाव जेणेव सुभूमिभागे उज्जाणे तेणेव विहरइ। परिसा निग्गया, मंडुओ वि निग्गओ, सेलयं अणगारं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पज्जुवासइ। __तए णं से मंडुए राया सेलयस्स अणगारस्स सरीरयं सुकं भुक्कं जाव सव्वाबाहं सरोगं पासइ, पासित्ता एवं वयासी-“अहं णं भंते ! तुब्भं अहापवित्तेहिं तिगिच्छएहिं अहापवित्तेणं ओसहभेसज्जेणं भत्तपाणेणं तिगिच्छं आउट्टामि, तुब्भे णं भंते ! मम जाणसालासु समोसरह, फासुअं एसणिज्जं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारगं ओगिण्हित्ताणं विहरइ।"
सूत्र ५५. शैलक मुनि विहार करते हुए शैलकपुर के सुभूमिभाग उद्यान में आकर ठहरे। परिषद निकली, मंडुक राजा भी आये। सभी ने शैलक अनगार को यथाविधि वन्दना की और उपासना करने लगे। मंडुक राजा ने शैलक मुनि का निस्तेज, सूखा और रोग से जर्जर शरीर देखा तो बोले-"भंते ! मैं आपकी ऐसे चिकित्सक, औषध, भेषज और भोजन-पान द्वारा चिकित्सा करवाना चाहता हूँ जिसे स्वीकार करने में साधु के लिये कोई आपत्ति नहीं हो। भंते ! आप मेरी यानशाला में पधारिये और प्रासुक तथा एषणीय पीठादि ग्रहण करके रहिये।"
55. During his roving Ascetic Shailak once arrived in Shailakpur town and stayed in the Subhumibhag garden. King Manduk came to visit him along with a delegation of citizens and they started worshipping him after the formal bowing. When king Manduk observed the dull, anaemic, deteriorated and ailing body of Ascetic Shailak he commented, “ Bhante! I wish to get you treated by such a doctor, medicines, and diet that are not prohibited for an ascetic. Bhante! Please come to my garage and stay there accepting seat, bed, etc. prescribed for an ascetic."
सूत्र ५६. तए णं से सेलए अणगारे मंडुयस्स रण्णो एयमद्वं तह त्ति पडिसुणेइ। तए णं से मंडुए सेलयं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए।
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JNATA DHARMA KATHANGA SŪTRA
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