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तृतीय अध्ययन : अंडे
(२०९ )
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बाहर निकल उड़कर एक पेड़ की डाल पर बैठ गई। वहाँ से वह उस झुरमुट और आते हुए सार्थवाहपुत्रों को अपलक देखने लगी।
13. During this walk when they approached that Tulsi thicket the wild pea-hen saw them. Squeaking with fear she came out of the thicket and flew to a branch of a nearby tree. Perched there she watched the approaching merchant-boys and the thicket without blinking. अंडों का अपहरण
सूत्र १४. तए णं सत्थवाहदारगा अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी“जह णं देवाणुप्पिया ! एसा वणमऊरी अम्हे एज्जमाणा पासित्ता भीया तत्था तसिया उव्विग्गा पलाया महया महया सद्देणं जाव अम्हे मालुयाकच्छयं च पेच्छमाणी पेच्छमाणी चिट्ठइ, तं भवियव्वमेत्थ कारणेणं" ति कट्ट मालुयाकच्छयं अंतो अणुपविसंति। अणुपविसित्ता तत्थ णं दो पुढे परियागए जाव पासित्ता अन्नमन्नं सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी__“सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमे वणमऊरीअंडए साणं जाइमंताणं कुक्कुडियाणं अंडएसु य पक्खिवावित्तए। तए णं ताओ जातिमंताओ कुक्कुडियाओ एए अंडए सए य अंडए सए णं पक्खवाए णं सारक्खमाणीओ संगोवेमाणीओ विहरिस्संति। तए णं अम्हे एत्थ दो कीलावणगा मऊरी-पोयगा भविस्संति।" त्ति कटु अन्नमन्नस्स एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणित्ता सए सए दासचेडे सद्दावेंति, सद्दावित्ता एवं वयासी-“गच्छह णं तुब्भ देवाणुप्पिया ! इमे अंडए गहाय सयाणं जाइमंताणं कुक्कुडीणं अंडएसु पक्खिवह।" जाव ते वि पक्खिति।
सूत्र १४. सार्थवाहपुत्रों ने एक-दूसरे को निकट बुलाकर कहा-“देवानुप्रिय ! यह वनमयूरी हमें आता देख भय से स्तब्ध हो गई और आशंका से उद्विग्न होकर उड़ गई और जोर-जोर से आवाज करके हमें और झुरमुट को बार-बार देख रही है। इसका कोई कारण होना चाहिए।' इस प्रकार बातें कर वे दोनों झुरमुट में घुस पड़े। वहाँ उन्होंने क्रमश: बड़े हुए मयूरी के दो पुष्ट अंडे देखे और परस्पर बात की। ___“हे देवानुप्रिय ! हमारे लिये इन अंडों को ले जाकर अपनी उत्तम जाति की मुर्गी के
अंडों के साथ डाल देना श्रेष्ठ होगा। इससे वे मुर्गियाँ अपने अंडों के साथ इनकी भी अपने पंखों की हवा से रक्षा करेंगी और सेती रहेंगी। यथा समय हमें अपनी क्रीड़ा के लिये दो मोर के बच्चे प्राप्त हो जायेंगे।" दोनों इस बात पर एकमत हो गये और अपने दास-पुत्रों
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CHAPTER-3: ANDAK
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