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4IMA
तच्चं अज्झयणं : अंडे
तृतीय अध्ययन : अंडक THIRD CHAPTER : ANDAK - THE EGGS
सूत्र १. जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं दोच्चस्स अज्झयणस्स णायाधम्मकहाणं अयमढे पन्नत्ते, तइअस्स अज्झयणस्स के अढे पण्णत्ते ?
सूत्र १. जम्बू स्वामी ने सुधर्मा स्वामी से प्रश्न किया-"भंते ! श्रमण भगवान महावीर ने ज्ञाता धर्मकथा के दूसरे अध्ययन का यह (पूर्वोक्त) अर्थ कहा है, तो तीसरे अध्ययन का क्या अर्थ बताया है ?" ___ 1. Jambu Swami inquired, “Bhante ! What is the meaning of the third chapter of Jnata Dharmakatha according to Shraman Bhagavan Mahavir?”
सूत्र २. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समए णं चंपा नाम नयरी होत्था, वन्नओ। तीसे णं चंपाए नयरीए बहिया उत्तरपुच्छिमे दिसीभाए सुभूमिभाए नामं उज्जाणे होत्था। सव्वोउय-पुष्फ-फलसमिद्धे सुरम्में नंदणवणे इव सुह-सुरभि-सीयल-च्छायाए समणुबद्ध । __सूत्र २. सुधर्मा स्वामी ने उत्तर दिया-“हे जम्बू ! ऐसा वर्णन है कि काल के उस भाग में चम्पा नाम की एक नगरी थी। जिसके बाहर उत्तर-पूर्व दिशा में सुभूमिभाग नामक एक रमणीय उद्यान था। वह सभी ऋतुओं में फूलों-फलों से लदा बड़ा सुरम्य लगता था। वह नन्दनवन के जैसा शुभ, सुरभित और शीतल छाया से भरा था।"
2. Sudharma Swami narrated-Jambu ! There are mentions that during that period of time there existed a town named Champa. There was a beautiful garden named Subhumibhag outside the town. With abundance of flowers and fruits that garden appeared inviting during every season. It was attractive, fragrant, and full of cool shade just like Nandanvana (the garden of gods). मयूरी के अंडे
सूत्र ३. तस्स णं सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स उत्तरओ एगदेसम्मि मालुयाकच्छए होत्था, वण्णओ। तत्थ णं एगा वणमऊरी दो पुढे परियागए पिटुंडी पंडुरे निव्वणे निरुवहए
Othe
PARDA
(201)
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