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पता
साधु को नक्षत्र, स्वप्न, योग, निमित्त, मंत्र और औषधि आदि के विषय में N (फलाफल सम्बन्धी) चर्चा गृहस्थों के साथ नहीं करनी चाहिए, क्योंकि इनके विषय में कथन करना षट्कायिक जीवों की हिंसा का कारण है।॥५१॥
51. A shraman should not indulge in discussions with householders on subjects like astrology, dream-divining, esoteric concoctions, reading omens, mantra, medicines, etc. because such discussions may cause harm to beings of all the six classes. विशेषार्थ :
श्लोक ५१. नक्खत्तं-नक्षत्रं-ज्योतिष या पचांग आदि की सूचनाएँ। सुमिणं-स्वप्नं-स्वप्न-फल। जोग-योग-औषधि अथवा खाद्य पदार्थों की संयोग विधि; वशीकरण।
निमित्तं-अतीत, वर्तमान और भविष्य संबंधी शुभाशुभ फल बताना। ELABORATION:
(51) Nakkhattam-astrology. Suminam-dream divining.
Jogam- esoteric concoctions of eatables and medicines; mesmerizing.
Nimittam-reading omens. शय्या-विवेक
५२ : अन्नटुं पगडं लयणं भइज्ज सयणासणं।
उच्चारभूमिसंपन्नं इत्थी-पसु-विवज्जिअं॥ साधु ऐसे स्थान या भवन में ठहरे जो गृहस्थ के रहने के लिए हो अर्थात् जो SM साधु के निमित्त न बनाया गया हो तथा जो उच्चार-प्रस्रवण भूमि से युक्त हो, SS
जहाँ स्त्री, पशु आदि नहीं रहते हों। इसी प्रकार शय्या तथा आसनादि भी जो दूसरों के लिए बने हों वे ही अपने उपयोग में लेवे॥५२॥ | ૨૮૮
श्री दशवकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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