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पंचमं अज्झयणं : पिंडेसणा : पढमो उद्देसो पंचम अध्ययन : पिण्डैषणा : प्रथम उद्देशक
भिक्षा का समय व विधि
FIFTH CHAPTER: PINDAISHANA: FOOD SELECTION PADHAMO UDDESO: FIRST SECTION
१ : संपत्ते भिक्खकालम्मि असंभंतो अमुच्छिओ । इमेण कमजोगेणं भत्तपाणं गवेसए॥
भिक्षा का समय हो जाने पर साधु असंभ्रान्त - चित्त की व्याकुलता को छोड़कर तथा अमूर्च्छित भाव के साथ इस प्रकार ( आगे कहे जाने वाले तरीके से ) अन्न-पानी की गवेषणा करे ॥ १ ॥
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THE TIME AND METHOD OF SEEKING ALMS
1. When it is time to seek alms, the ascetic should, by means of a detached attitude, free himself from the eagerness of a wavering mind, and then should look for food and water as follows.
विशेषार्थ :
श्लोक १. भिक्खकालम्मि- भिक्षाकाले-धर्माचरण में प्रत्येक कार्य का स्थान, परिस्थिति तथा समय के अनुसार विधि का निर्देश होता है। जैन श्रमण की आचार संहिता में दिनचर्या का प्राथमिक विभाजन है - " सूर्योदय के पश्चात् विधिपूर्वक प्रतिलेखनादि कर लेने के बाद साधु दिन के प्रथम प्रहर में स्वाध्याय करे । पश्चात् ध्यान करे । तृतीय प्रहर में उपयोगपूर्वक भिक्षा के लिए जाये ।"
अतः 'भिक्षा का समय' का अर्थ दिन का तीसरा पहर मानना चाहिए । यही वह समय है जब सामान्यतया गृहस्थ की आहार ग्रहण की चर्या समाप्ति पर होती है।
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श्री दशवैकालिक सूत्र : Shri Dashavaikalik Sutra
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