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Anikasena was growing like Drdhapratijña Kumāra, as the fragrant tree of campaka grows up without any hinderance in a cave of mountain and lonely place. Aupapatika Sūtra vividly explains the description of Drdhapratijña Kumāra. See full description in Antakrddaśā Mahima.
सूत्र ३ :
तए णं तं अणीयसेणं कुमारं साइरेगं अट्ठवास-जायं अम्मापियरो कलायरियस्स उवणेत्ति जाव भोगसमत्थे जाए यावि होत्था । तए णं तं अणीयसेणं कुमारं उम्मुक्क-बालभायं जाणित्ता अम्मापियरो सरिसयाणं, सरिसवयाणं, सरिसत्तयाणं, सरिसलावण्ण-रूव-जोवण्णगुणोववेयाणं सरिसेहिंतो कुलेहितो आणिल्लियाणं बत्तीसाए इब्भवर · कण्णगाणं एग-दिवसेणं पाणिं गिण्हावेइ ।
सूत्र ३ :
जब अनीकसेन कुमार आठ वर्ष से अधिक वय का हुआ तो माता-पिता ने शिक्षण के लिए कलाचार्य के पास भेजा । कला-कौशल प्राप्त कर वह भोग समर्थ युवावस्था को प्राप्त हुआ । तब उस अनीकसेन कुमार को माता-पिता ने बाल भाव मुक्त अर्थात् युवावस्था को प्राप्त हुआ जानकर, उसके अनुरूप समान वयवाली, समान त्वचा (रंग) और रूपलावण्य तथा तारुण्य गुण वाली, अपने समान कुलों से लाई गई बत्तीस इभ्य श्रेष्ठियों की कन्याओं के साथ उसका एक ही
दिन में पाणिग्रहण करवाया । Maxim 3 :
When Anikasena Kumāra crossed the age of eight years then his parents sent him to an able teacher for education. He became at home in various arts and crafts and branches
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अन्तकृद्दशा सूत्र : तृतीय वर्ग
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