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________________ का एक उद्यान था । उस नन्दन वन में सुरप्रिय नाम का एक प्राचीन यक्षायतन (यक्ष मन्दिर ) था । वह उद्यान चारों तरफ से एक विशाल वन खण्ड से घिरा हुआ था, और उस वन खण्ड में एक विशाल अशोक वृक्ष था । उस द्वारका नगरी में श्रीकृष्ण वासुदेव राज्य करते थे । जो कि महा हिमवान पर्वत के समान, मर्यादा पुरुषोत्तम थे । ( राजा एवं नगरी का वर्णन औपपातिक सूत्र के वर्णन के अनुसार जानना चाहिए ।) द्वारका नगरी में समुद्रविजय जी आदि दश दशार्ह ( पूज्य पुरुष ) निवास करते थे । महावीर कहे जाने वाले बलदेव आदि पांच श्रेष्ठ महाबली, प्रद्युम्न आदि साढ़े तीन करोड़ कुमार भी द्वारका में थे । शाम्बकुमार, जिनमें प्रमुख गिने जाते थे ऐसे साठ हजार दुर्दान्त वीर तथा महासेन आदि छप्पन हजार बलवर्ग (सैन्यसमूह ) थे । वीरसेन आदि इक्कीस हजार वीर योद्धा, उग्रसेन प्रमुख सोलह हजार राजा एवं रुक्मिणी प्रमुख सोलह हजार रानियां थीं । अनंगसेना आदि हजारों गणिकाएं भी द्वारका में रहती थीं । इनके अतिरिक्त अन्य बहुत से ईश्वर ( सम्मानित पदधारी नागरिकों) से लेकर अनेक सार्थवाह (व्यापारी) आदि उस नगरी में निवास करते थे । इस प्रकार ( विपुल वैभव एवं शक्तिशाली वीर योद्धाओं, नागरिकों से सम्पन्न) उस द्वारका नगरी तथा समस्त अर्ध भरत क्षेत्र ( जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र के तीन खण्डों ) का अधिपतित्व करते हुए वासुदेव श्रीकृष्ण वहां राज्य करते थे । Magnificence of Śrikṛṣṇa's Empire Maxim 5: Out of Dwarakā city in the middle of East-North directions (Īṣāna Koṇa) there was a mountain named Raivataka. On Raivataka mountain there was a garden, named Nandana vana. In that Nandana Vana there was a temple (sanctuary) of Surapriya Yaksa (deity) which was very old. That garden was surrounded by one vast अन्तकृद्दशा सूत्र : प्रथम वर्ग २२ • Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.007648
Book TitleAgam 08 Ang 08 Antkrutdashang Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana, Rajkumar Jain, Purushottamsingh Sardar
PublisherPadma Prakashan
Publication Year1999
Total Pages587
LanguagePrakrit, English, Hindi
ClassificationBook_English, Book_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, Conduct, & agam_antkrutdasha
File Size12 MB
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