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सुकृष्णा आर्या : सप्त सप्तमी भिक्षु प्रतिमा
सूत्र ११ :
एवं सुकण्हा वि, णवरं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । पढमे सत्तए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणगस्स । दोच्च सत्तए दो दो भोयणस्स दो दो पाणगस्स ।
तच्चे सत्तए तिणि तिण्णि भोयणस्स तिण्णि तिण्णिपा णगस्स ।
चउत्थे चउ, पंचमे पंच, छट्टे छ, सत्तमे सत्तए सत्त दत्तीओ भोयणस्स पडिगाहेइ, सत्त पाणगस्स ।
पंचम अध्ययन
एवं खलु एयं सत्तसत्तमियं भिक्खुपडिमं एगूणपण्णाए राइदिएहिं एगेण य छण्णउएणं भिक्खासएणं अहासुत्तं जाव आराहित्ता जेणेव अज्जचंदणा अज्जा तेणेव उवागया ।
अज्जचंदणं अज्जं वंदइ, णमंसइ, वंदित्ता, णमंसित्ता एवं वयासी" इच्छामि णं अज्जाओ ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी अट्ठमियं भिक्खुपडिमं उत्वसंपज्जित्ताणं विहरित्तए । "
अहासुहं देवाप्पिए ! मा पडिबंधं करेह ।
तए णं सा सुकण्हा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अब्भणुष्णाया समाणी अट्ठमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ |
पढमे अट्ठए एक्क्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणगस्स दत्तिं, जाव अट्टमे अट्ठए अट्ठ भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ अट्ठट्ठ पाणगस्स ।
एवं खलु अट्ठमियं भिक्खुपडिमं चउसट्ठीए राइदिएहिं दोहिं य अट्ठासीए हिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहित्ता, नव-नवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ।
पंचम अध्ययन
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